स्विट्जरलैंड ने भारत के साथ मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा निलंबित किया

स्विट्जरलैंड ने घोषणा की है कि वह 1 जनवरी 2025 से भारत के साथ अपने दोहरे कराधान बचाव समझौता (DTAA) में मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) प्रावधान को निलंबित कर देगा। इस कदम से भारतीय टैक्स रेसिडेंट्स को दिए जाने वाले लाभांश पर कर की दर 5 प्रतिशत से दोगुनी होकर 10 प्रतिशत हो जाएगी।

यह निर्णय 2023 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले के बाद आया है, जिसने स्पष्ट किया था कि जब कोई देश आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) में शामिल होता है, तो MFN सेगमेंट स्वतः लागू नहीं होता है, खासकर यदि पहले से कोई कर संधि हो। इसके लिए अलग से आयकर अधिनियम में प्रावधान करने होंगे।

भारत ने कुछ प्रकार की आय पर कर दरों के लिए कोलंबिया और लिथुआनिया के साथ कर संधियों पर हस्ताक्षर किए, जो ओईसीडी देशों को प्रदान की गई दरों से कम थीं।

बाद में कोलंबिया और लिथुआनिया OECD में शामिल हो गए। चूँकि MFN क्लॉज़ का मतलब होता है सभी देशों के साथ समान व्यवहार। ऐसे में 2021 में, स्विटज़रलैंड ने व्याख्या की कि कोलंबिया और लिथुआनिया की OECD सदस्यता का मतलब है कि MFN क्लॉज़ के तहत भारत के साथ उसकी कर संधि पर लाभांश के लिए कोलंबिया और लिथुआनिया के समान 5% की दर लागू होगी, न कि उसके (स्विट्ज़रलैंड) साथ समझौते में उल्लिखित 10% की दर।

बता दें कि MFN क्लॉज़ अंतरराष्ट्रीय संधियों में पाया जाने वाला एक सिद्धांत है, जिसमें कर समझौते भी शामिल हैं, जो इसमें शामिल सभी पक्षों के लिए समान व्यवहार सुनिश्चित करता है।

यदि कोई देश किसी दूसरे देश को अनुकूल कर दरें या शर्तें प्रदान करता है, तो उसे संधि द्वारा कवर किए गए अन्य सभी देशों को भी वही लाभ प्रदान करना होता है। यह क्लॉज़ यह गारंटी देने के लिए बनाया गया है कि व्यापार या कराधान के मामलों में किसी भी देश के साथ किसी अन्य देश की तुलना में कम अनुकूल व्यवहार नहीं किया जाए।

इसी आधार पर स्विस कंपनी नेस्ले ने भारत-स्विट्जरलैंड कर संधि के तहत MFN क्लॉज़ का लाभ उठाते हुए लाभांश पर भुगतान किए गए कर की वापसी की मांग की थी।

स्विटज़रलैंड ने शुरू में माना था कि MFN सिद्धांत के तहत ये कम दरें स्वतः रूप से भारत पर भी लागू होनी चाहिए।

हालाँकि, 2023 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इसके विपरीत साबित कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने नेस्ले के पक्ष में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को पलट दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 90 के तहत औपचारिक अधिसूचना के बिना MFN क्लॉज को स्वतः रूप से लागू नहीं किया जा सकता है।

इस स्पष्टीकरण के कारण स्विस अधिकारियों ने कर कटौती की दर में एकतरफा कटौती पर पुनर्विचार किया। परिणामस्वरूप, स्विट्जरलैंड ने MFN क्लॉजको निलंबित करने का फैसला किया, जो भारतीय निवासियों और स्विस निवेश वाली कंपनियों के लिए लाभांश कटौती कर की दर बढ़ाएगा।

स्विट्जरलैंड से लाभांश प्राप्त करने वाली भारतीय कंपनियों को कर का बोझ बढ़ाना पड़ेगा, क्योंकि उन लाभांशों पर कटौती कर 5 प्रतिशत से बढ़कर 10 प्रतिशत हो जाएगा।

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