GM सरसों पर सुप्रीम कोर्ट की स्प्लिट वर्डिक्ट

सुप्रीम कोर्ट की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने 23 जुलाई को आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) सरसों के “पर्यावरणीय रिलीज” की अनुमति देने पर स्प्लिट वर्डिक्ट सुनाया।

जस्टिस बी वी नागरत्ना और संजय करोल इस बात पर असहमत थे कि जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) ने GM सरसों को एनवायर्नमेंटल रिलीज के बाद फील्ड ट्रायल की अनुमति देने से पहले सही से अध्ययन किया था या नहीं।  

GEAC आनुवंशिक रूप से इंजीनियर्ड क्रॉप्स से संबंधित प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए जिम्मेदार है।

बैसिलस थुरिंजिनिसिस कपास (या  Bt कॉटन) एकमात्र GM फसल है जिसे भारत में खेती के लिए अब तक मंजूरी दी गई है।

15 सितंबर, 2015 को, दिल्ली विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर जेनेटिक मैनीपुलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्स (Centre for Genetic Manipulation of Crop Plants CGMCP) ने DMH-11 नामक आनुवंशिक रूप से इंजीनियर संकर सरसों (जिसे आमतौर पर GM सरसों के रूप में जाना जाता है) की एनवायर्नमेंटल रिलीज के लिए GEAC की मंजूरी मांगी।

बता दें कि सरसों के फूलों में मादा (स्त्रीकेसर) और नर (पुंकेसर) दोनों प्रजनन अंग होते हैं, जो पौधे को काफी हद तक स्व-परागण वाला बनाता है।

दिल्ली विश्वविद्यालय  के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित GM सरसों में दो विदेशी जीन  हैं – पहला, ‘बार्नेज’ जीन पराग उत्पादन में बाधा डालता है और पौधे को नर-बांझ बनाता है, और  परिणामी पौधे को उपजाऊ सरसों के फूलों के साथ क्रॉस किया जाता है जिसमें दूसरा, ‘बार्स्टर’ जीन होता है जो बार्नेज जीन की क्रिया को अवरुद्ध करता है। इस तरह विकसित पौधे सरसों के उच्च उपज वाली वेराइटीज हैं।

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