भारत के जल संसाधनों का आकलन 2024
भारत के जल संसाधनों पर केंद्रीय जल आयोग (CWC) ने “भारत के जल संसाधनों का आकलन 2024” (Assessment of Water Resources of India 2024) स्टडी जारी की है। इसमें देश की जल उपलब्धता और जल संकट स्तर के प्रभावों पर महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई हैं:
जल उपलब्धता में वृद्धि:
- भारत की औसत वार्षिक जल उपलब्धता (1985-2023) अब 2,115.95 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) आंकी गई है, जो पिछले अनुमान 1,999.2 BCM (1985-2015) से अधिक है।
- इस वृद्धि का श्रेय ब्रह्मपुत्र, गंगा और सिंधु बेसिनों में ट्रांस-बाउंड्री जल को शामिल किए जाने को दिया गया है।
सबसे अधिक और सबसे कम जल उपलब्धता वाले बेसिन:
- शीर्ष तीन बेसिन (जल उपलब्धता):
- ब्रह्मपुत्र: 592.32 BCM
- गंगा: 581.75 BCM
- गोदावरी: 129.17 BCM
- न्यूनतम जल उपलब्धता वाले तीन बेसिन:
- साबरमती: 9.87 BCM
- पेनार: 10.42 BCM
- माही: 13.03 BCM
जल संकट स्तर:
- फाल्कनमार्क इंडिकेटर (Falkenmark Indicator) या वाटर स्ट्रेस इंडेक्स जल संकट के लिए निम्नलिखित सीमा निर्धारित करता है:
- जल संकट (Water stress): प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता < 1,700 क्यूबिक मीटर।
- जल अभाव (Water scarcity): < 1,000 क्यूबिक मीटर।
- पूर्ण जल अभाव (Absolute water scarcity): 500 क्यूबिक मीटर से कम।
- 2019 के आकलन के अनुसार, 2021 में भारत की वार्षिक प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता 1,486 क्यूबिक मीटर थी, जो “जल संकट वाटर स्ट्रेस” की स्थिति को दर्शाती है।
2024 के लिए अनुमानित प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता:
- अद्यतन जल उपलब्धता (2,115.95 BCM) और अनुमानित जनसंख्या (1.398 अरब) के आधार पर, प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता 1,513 क्यूबिक मीटर तक बढ़ने का अनुमान है।
- हालांकि इसमें सुधार हुआ है, लेकिन यह अभी भी “जल संकट” की श्रेणी में ही आता है।
प्रभाव:
- जल उपलब्धता में वृद्धि एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन बढ़ती जनसंख्या और संसाधनों का असमान वितरण जल सुरक्षा के लिए चुनौती बने हुए हैं।
- क्षेत्रीय असमानता गंभीर है; जैसे ब्रह्मपुत्र और गंगा बेसिन में प्रचुर जल संसाधन हैं, जबकि साबरमती और पेनार जैसे बेसिन गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं।
- जनसंख्या वृद्धि के कारण भारत की प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता वर्षों से घट रही है, जो यह स्पष्ट करता है कि जल प्रबंधन के लिए संधारणीय रणनीतियां अपनाने की सख्त आवश्यकता है।