CdTe (कैडमियम टेल्यूराइड) टेक्नोलॉजी

हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि CdTe (कैडमियम टेल्यूराइड) टेक्नोलॉजी भारत में ऐसी सोलर सेल तकनीक है जो पर्यावरण को सबसे कम नुकसान पहुंचाती है।

यह स्टडी हिमाचल प्रदेश के मंडी में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया। CdTe में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन, ओजोन रिक्तीकरण क्षमता, मानव स्वास्थ्य प्रभाव और पार्टिकल वायु प्रदूषण क्षमता सबसे कम है।

बता दें कि CdTe पाँच सौर सेल तकनीकों में से एक थी, जिस पर आईआईटी वैज्ञानिकों ने भारत में सोलर एनर्जी उत्पादन के लिए सबसे सस्टेनेबल विकल्पों की पहचान करने के लिए लाइफ-साइकिल मूल्यांकन (एलसीए) किया था।

सोलर सेल की अन्य चार तकनीकें हैं; मोनो-सिलिकॉन, पॉलीसिलिकॉन, कॉपर इंडियम गैलियम सेलेनाइड (CIGS), और पैसिवेटेड एमिटर और रियर कॉन्टैक्ट (PERC)।

कैडमियम टेल्यूराइड ( CdTe) सौर प्रौद्योगिकी पहली बार 1972 में पेश की गई थी जब बोनेट और रबेनहॉर्स्ट ने सीडीएस/ CdTe हेटेरोजंक्शन को डिजाइन किया था जिससे  CdTe सोलर सेल का निर्माण संभव हो सका।

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