कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में फसल की हिस्सेदारी कम हुई जबकि फिशिंग की हिस्सेदारी बढ़ी
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने प्रकाशन- ‘कृषि और संबद्ध क्षेत्रों से उत्पादन के मूल्य (gross value of output: GVO) पर सांख्यिकीय रिपोर्ट 2024’ (Statistical Report on Value of Output from Agriculture and Allied Sectors 2024) जारी किया है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
2011-12 और 2022-23 के बीच कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के कुल उत्पादन मूल्य में फसल क्षेत्र (क्रॉप) की हिस्सेदारी 62.4 प्रतिशत से घटकर 54.3 प्रतिशत हो गई है।
पशुधन की हिस्सेदारी 25.6 प्रतिशत से बढ़कर 30.9 प्रतिशत हो गई है, जबकि फिशिंग और जलीय कृषि की हिस्सेदारी 4.2 प्रतिशत से बढ़कर 6.9 प्रतिशत हो गई है।
इस तरह कृषि और संबद्ध क्षेत्र के उत्पादन के मूल्य में फसल, पशुधन, वानिकी और फिशिंग उप-क्षेत्रों की हिस्सेदारी 2022-23 में क्रमशः 54.3%, 30.9%, 7.9% और 6.9% थी।
पशुधन उप-क्षेत्र का उत्पादन 2011-12 में ₹487.8 हजार करोड़ से बढ़कर 2022-23 में ₹878.5 हजार करोड़ हो गया।
राजस्थान (12.5%) और उत्तर प्रदेश (12.3%) ने मिलकर 2022-23 में स्थिर मूल्यों पर पशुधन उप-क्षेत्र के उत्पादन का लगभग एक चौथाई हिस्सा हासिल किया।
फिशिंग और जलीय कृषि उप-क्षेत्र का उत्पादन 2011-12 में लगभग ₹80 हजार करोड़ से बढ़कर 2022-23 में लगभग ₹195 हजार करोड़ हो गया। कृषि और संबद्ध क्षेत्र के उत्पादन के मूल्य में मत्स्य पालन और जलीय कृषि की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2012 में 4.2 प्रतिशत की तुलना में वित्त वर्ष 2023 में बढ़कर 6.9 प्रतिशत हो गई।
आंध्र प्रदेश 2015-16 से 2022-23 की अवधि के दौरान फिशिंग और जलीय कृषि का सबसे बड़ा उत्पादक बना रहा।
पश्चिम बंगाल अभी भी सबसे अधिक फल और सब्जी उत्पादन वाला राज्य बना हुआ है।