Spheroidal carbonaceous particles: अंटार्कटिक आइस कोर में पहली बार स्फेरॉइडल कार्बोनेसियस पार्टिकल्स (SCP) की पहचान की गई

एक नए अध्ययन के अनुसार, अंटार्कटिक आइस कोर में पहली बार फ्लाई ऐश के एक घटक स्फेरॉइडल कार्बोनेसियस पार्टिकल्स (SCP) की पहचान की गई है।

इतना ही नहीं, ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों के अनुसार, जो कण प्राप्त हुए हैं वे 1936 के हैं।

बता दें कि जीवाश्म ईंधन दहन से उत्पन्न होने के अलावा SCP का कोई अन्य मानवजनित या प्राकृतिक स्रोत नहीं है। इस प्रकार, ये औद्योगीकरण के एक स्पष्ट पर्यावरणीय संकेतक हैं।

वैज्ञानिकों ने जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा कि पहचाने गए SCP का सबसे संभावित स्रोत कोयले से चलने वाले ऑस्ट्रेलियाई बिजली संयंत्र (लगभग 8,000 किलोमीटर दूर) थे।

इस अध्ययन से स्पष्ट होता है कि स्फेरॉइडल कार्बोनेसियस पार्टिकल्स (SCP) को न केवल महाद्वीपीय अंटार्कटिका में ले जाया गया है, बल्कि यह कि जीवाश्म ईंधन दहन के स्थायी भौतिक मार्कर 20 वीं शताब्दी के शुरुआती दशकों से बर्फ की परतों में फंस गए हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि 21 वीं सदी के दौरान तेज हवाओं की ताकत बढ़ने की भविष्यवाणी की गई है और इससे भविष्य में अंटार्कटिका में फ्लाई ऐश कणों और अन्य मानवजनित वायुमंडलीय प्रदूषकों के जमाव में वृद्धि हो सकती है।

शोधकर्ताओं ने अंटार्कटिक प्रायद्वीप के पामर लैंड क्षेत्र से एकत्र किए गए आइस कोर से लिए गए 1900-2011 से सालाना विलयी नमूनों से SCP डेटा प्रस्तुत किया।

पामर में SCPs का सबसे पुराना संभावित साक्ष्य 1930-1937 के अनुरूप नमूने में पाया गया था।  

उल्लेखनीय है कि फ्लाई ऐश सूक्ष्म रूप से खंडित अवशेष है जो चूर्णित कोयले के दहन से उत्पन्न होता है और एग्जॉस्ट गैसों द्वारा कोयला दहन कक्ष से बाहर निकलकर फैल जाते हैं।

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