ठोस ईंधन (solid fuel) मिसाइल

हाल ही में उत्तर कोरिया ने ठोस ईंधन (solid fuel) से संचालित इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का परीक्षण किया।

सॉलिड फ्यूल मिसाइलों को लॉन्च से तुरंत पहले ईंधन भरने की आवश्यकता नहीं होती है।

इन्हें संचालित करना अक्सर आसान और सुरक्षित होता है। इन्हें कम लॉजिस्टिक्स सपोर्ट की आवश्यकता होती है, जिससे उनका पता लगाना कठिन हो जाता है और तरल-ईंधन वाले हथियारों (liquid-fuel weapons) की तुलना में अधिक  समय तक रह सकता है।

संकट के समय में ये क्षमताएं बहुत अधिक प्रतिक्रियाशील होती हैं।

सॉलिड प्रोपल्शन फ्यूल और ऑक्सिडाइजर का मिश्रण हैं। एल्यूमीनियम जैसे धात्विक पाउडर अक्सर ईंधन के रूप में काम करते हैं, और अमोनियम परक्लोरेट सबसे आम ऑक्सिडाइजर है।

ईंधन और ऑक्सीडाइज़र एक कठोर रबर जैसी सामग्री से एक साथ बंधे होते हैं और एक धातु आवरण में पैक किए जाते हैं।

जब  सॉलिड प्रोपल्शन  जलता है, तो अमोनियम परक्लोरेट से ऑक्सीजन एल्यूमीनियम के साथ मिलकर भारी मात्रा में ऊर्जा और 5,000 डिग्री फ़ारेनहाइट (2,760 डिग्री सेल्सियस) से अधिक का तापमान उत्पन्न करती है, जिससे थ्रस्ट पैदा होता है और मिसाइल लॉन्च पैड से ऊपर उठ जाती है।

अग्नि-P दो चरणों वाली कनस्तरीकृत ठोस प्रणोदक बैलिस्टिक मिसाइल है।

लिक्विड प्रोपल्शन अधिक प्रोपल्सिव थ्रस्ट  और पावर प्रदान करते हैं, लेकिन इसके लिए अधिक जटिल तकनीक और अतिरिक्त भार की आवश्यकता होती है।

ठोस ईंधन सघन होता है और बहुत तेजी से जलता है, जिससे कम समय में थ्रस्ट पैदा होता है। ठोस ईंधन लंबे समय तक बिना खराब हुए  रह सकता है जो तरल ईंधन के साथ एक आम समस्या है।

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