ऑस्मोलाइट्स क्या हैं?

एक भारतीय शोध दल ने को-वैलेन्ट मैग्नेटिक  चुंबकीय ट्वीज़र्स नामक एक तकनीक का उपयोग करके यह दर्शाया कि अलग-अलग प्रोटीन अणु यानी मॉलिक्यूल अलग-अलग परिस्थितियों में कैसे मुड़ते और खुलते हैं और ऑस्मोलाइट्स (osmolytes) के साथ कैसे इंटरेक्शन करते हैं।

ऑस्मोलाइट्स (osmolytes) नामक स्मॉल मॉलिक्यूल प्रोटीन को तनावपूर्ण परिस्थितियों में अपनी संरचना को बनाए रखने और कार्य को जारी रखने में मदद करते हैं।  

हालिया अध्ययन अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी बीमारियों के लिए उपचार के विकास में सहायता कर सकता है।

ऑस्मोलाइट्स छोटे अणु होते हैं जो प्रोटीन को स्थिर करके और उन्हें गलत तरीके से मोड़ने से रोककर कोशिकाओं को तनाव से बचने में मदद करते हैं। गलत तरीके से मुड़े हुए प्रोटीन अपना कार्य ठीक से नहीं कर पाते हैं, जिससे बीमारियाँ होती हैं।

ऑस्मोलाइट्स प्रोटीन संरचनाओं की स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण हैं, जिससे वे नई दवाओं की खोज में सहायक हो सकते हैं।

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