सिसल (Sisal) की पत्तियों से सैनिटरी नैपकिन बनाने पर रिसर्च
मासिक धर्म स्वच्छता से जुड़े अपशिष्ट की वजह से बढ़ती पर्यावरणीय चिंताओं के बीच, वैज्ञानिक पूर्व में सैनिटरी नैपकिन को पर्यावरण की दृष्टि से अधिक सस्टेनेबल बनाने के तरीकों पर विचार करते रहे हैं।
अब, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सिसल (Sisal) की पत्तियों (एगेव सिसलाना) से मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों (menstrual hygiene products) को बनाने की एक विधि पर नेचर कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग जर्नल में रिसर्च पेपर पब्लिश किया है।
प्रमुख बिंदु
रिसर्च पेपर के अनुसार, यह सामग्री सैनिटरी नैपकिन में कपास, काष्ठ-लुगदी या वुड पल्प और रासायनिक अवशोषक (chemical absorbents) की जगह ले सकती है।
शोध में कहा गया है कि इस सामग्री की अवशोषण क्षमता कमर्शियल सैनिटरी पैड में पाए जाने वाले पदार्थों की तुलना में अधिक है।
बता दें कि प्राचीन एज़्टेक और माया सभ्यता शायद सबसे पहले सिसल के पत्तों से कागज बनाना शुरू किया था। तब से इसकी कड़ी और तलवार जैसी हरी पत्तियों का उपयोग सुतली, कपड़ा और कालीन बनाने के लिए किया जाता रहा है।
सिसल एक जेरोफाइटिक, मोनोकार्प (एक ही बार फूल और बीज लगना), अर्ध-बारहमासी ;लीफ फाइबर उत्पादक पौधा है। इस पौधे का उपयोग मेज़कल नामक एक डिस्टिल्ड अल्कोहलिक पेय बनाने के लिए भी किया जाता है।
सिसल में पानी संग्रहित करने और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पनपने की अद्भुत क्षमता होती है।
सिसल पौधे का जीवनकाल लगभग 7-10 वर्ष होता है, इस दौरान यह 200-250 उपयोगी पत्तियां देता है।
प्रत्येक पत्ती में लगभग एक हजार रेशे होते हैं जिनका उपयोग रस्सियाँ, कागज और कपड़ा बनाने में किया जा सकता है। अब, इसका उपयोग अत्यधिक अवशोषित सामग्री बनाने के लिए भी किया जा सकता है।