रेड वीवर चींटियों से बनी “सिमिलिपाल काई चटनी” को मिला GI टैग

ओडिशा के मयूरभंज जिले के आदिवासी लोगों द्वारा रेड वीवर चींटियों ( red weaver ants) से बनाई गई सिमिलिपाल काई चटनी (Similipal kai chutney) को 2 जनवरी, 2024 को ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग (GI Tag) प्राप्त हुआ।

यह स्वादिष्ट चटनी अपने चिकित्सीय गुणों के लिए मयूरभंज क्षेत्र में लोकप्रिय है और इसे आदिवासियों की पोषण सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, रेड वीवर चींटियों (स्थानीय भाषा में काई पिंपुडी/kai pimpudi) में प्रोटीन, कैल्शियम, जिंक, विटामिन बी -12, लोहा, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सोडियम, तांबा, अमीनो एसिड आदि होते हैं।

इन प्रजातियों के सेवन से प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और बीमारियों को रोकने में मदद मिल सकती है।

रेड वीवर चींटियाँ मयूरभंज की स्थानीय (indigenous) चींटियाँ हैं और सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व सहित जिले के हर ब्लॉक क्षेत्र के जंगलों में पूरे साल बहुतायत में पाई जाती हैं।

आदिवासी लोग इन चींटियों से बना सूप भी पीते हैं।

रेड वीवर चींटी स्थानीय जनजातियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा उपायों की सुरक्षा का मुख्य स्रोत है।

रेड वीवर चींटियाँ पेड़ों पर कई घोंसलों वाली कालोनियाँ बनाती हैं।

काई चींटी फैमिली में सदस्यों की तीन श्रेणियां होती हैं – वर्कर, मेजर वर्कर और क्वीन। वर्कर एवं मेजर वर्कर अधिकतर नारंगी रंग के होते हैं। वर्कर 5-6 मिलीमीटर लंबी होती हैं, मेजर वर्कर 8-10 मिमी लम्बी होती हैं और रानी चींटी 20-25 मिमी लंबी और हरे-भूरे रंग की होती हैं।

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