Shore Temple: महाबलीपुरम का शोर मंदिर बना भारत का पहला ग्रीन एनर्जी पुरातात्विक स्थल
महाबलीपुरम (तमिलनाडु) में स्थित शोर मंदिर (Shore Temple) भारत का पहला हरित ऊर्जा पुरातात्विक स्थल (first-ever green energy archaeological site) बन गया है।
ग्रीन हेरिटेज प्रोजेक्ट के प्रयासों के परिणामस्वरूप, यह मंदिर अब स्वच्छ और टिकाऊ सौर ऊर्जा का उपयोग करके रोशन किया जाएगा।
क्षेत्र में प्रचुर सौर ऊर्जा का दोहन करने के लिए तीन सौर संयंत्र – प्रत्येक 10 किलोवाट की क्षमता वाले – रणनीतिक रूप से लगाए गए हैं।
शोर मंदिर (Shore Temple)
7वीं शताब्दी का यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल दक्षिण भारत के सबसे पुराने रॉक कट मंदिरों में से एक है।
शोर टेम्पल का नाम इस तथ्य के कारण पड़ा है कि क्योंकि यह बंगाल की खाड़ी के तट की ओर उन्मुख है।
मंदिर के भीतर तीन पवित्र स्थान हैं, जिनमें से दो भगवान शिव को और एक भगवान विष्णु को समर्पित है।
इन मंदिरों का स्थापत्य द्रविड़ और पल्लव शैलियों का एक सहज मिश्रण है।
इसे राजा नरसिंहवर्मन द्वितीय (695-722) के शासनकाल में ग्रेनाइट से बनवाया गया था।
सात पैगोडा (Seven Pagodas)
चेन्नई से लगभग 50 किमी दूर मामल्लपुरम, 16वीं शताब्दी के यूरोपीय यात्रियों के बीच “सात पैगोडा” (Seven Pagodas) के रूप में लोकप्रिय था।
मार्को पोलो ने अपनी यात्रा पुस्तक में शोर मंदिर का उल्लेख करते हुए इसे मामल्लापुरम के सात पैगोडा के रूप में संदर्भित किया, एक ऐसा नाम जो यूरोपीय व्यापारियों और मानचित्रकारों के बीच तटीय मंदिरों के समूह से जुड़ा हुआ था। हालांकि अब केवल शोर मंदिर ही बचा है।