ISDra2TnpB: पौधे के जीनोम को एडिट करने के लिए छोटा टूल का विकास

कटक की ICAR-नेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट और अमेरिका के पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने CRISPR जीन एडिटिंग में Cas9 और Cas12 प्रोटीन का विकल्प  प्रस्तुत किया हिअ। नया जीन एडिटर प्लांट जीनोम एडिटिंग में एक बड़ी समस्या को हल कर सकता है।

ISDra2TnpB: उन्होंने एक प्लांट जीनोम एडिटर विकसित की है, जिसमें ISDra2TnpB नामक प्रोटीन का इस्तेमाल किया गया है, जो डीनोकोकस रेडियोड्यूरांस (Deinococcus radiodurans) नामक बैक्टीरिया से प्राप्त होता है।

CRISPR की समस्या: जीन-एडिटिंग टूल CRISPR की मदद से, वैज्ञानिक पौधों में वांछित आनुवंशिक लक्षणों को जोड़ने या अवांछनीय गुणों को हटाने के लिए जीनोम को सटीक रूप से एडिट कर सकते हैं। यह सिस्टम DNA के विशिष्ट भागों को टारगेट करने के लिए Cas9 या Cas12 नामक दो प्रोटीनों में से एक का उपयोग करता है। लेकिन ये पौधे की कोशिकाओं के लिए बहुत भारी साबित होते हैं।

नए एडिटर की विशेषताएं: SDra2TnpB नामक प्रोटीन Cas9 और Cas12 के आधे से भी कम आकार का है। TnpB एक प्रोटीन है जो लगभग 400 अमीनो एसिड यूनिट्स से बना होता है। बता दें कि 20 अमीनो एसिड के अलग-अलग कॉम्बिनेशंस सभी प्रोटीन का निर्माण करते हैं।

जंपिंग जीन विशेषता: SDra2TnpB ट्रांसपोज़ेबल तत्वों या ट्रांसपोज़न की फैमिली से संबंधित है। इसे कभी-कभी “जंपिंग जीन” भी कहा जाता है। ट्रांसपोज़न एक जीनोम के हिस्से होते हैं जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकते हैं।

33.58% एडिटिंग दक्षता: नए अध्ययन में शामिल शोधकर्ताओं ने एक औसत पौधे जीनोम में 33.58% एडिटिंग  दक्षता हासिल करने के लिए TnpB-आधारित प्रणाली की जीनोम एडिटिंग क्षमताओं का दोहन किया, जिन टार्गेट्स तक Cas9 या Cas12 नहीं पहुँच सकते थे।

 DNA सीक्वेंस या अनुक्रम: जीनोम में एक दूसरे से बंधे  DNA के दो स्ट्रैंड होते हैं। प्रत्येक स्ट्रैंड न्यूक्लियोटाइड नामक बिल्डिंग ब्लॉक से बना होता है। प्रत्येक न्यूक्लियोटाइड में तीन टुकड़े होते हैं; उनमें से दो सभी में कॉमन होते हैं जबकि तीसरे की पहचान चार विकल्पों में से एक हो सकती है: एडेनिन (A), थाइमिन (T), साइटोसिन (C) या ग्वानिन (G)। DNA सीक्वेंस उस क्रम को कहा जाता है जिसमें इन चार यौगिकों वाले न्यूक्लियोटाइड व्यवस्थित होते हैं।  

CRISPR का उपयोग: CRISPR में विशेष रूप से कृषि में क्रांति लाने की क्षमता है, क्योंकि यह कृषि वैज्ञानिकों को जीन-एडिटिंग के माध्यम से फसल की पैदावार बढ़ाने तथा फसलों को रोग और प्रतिकूल मौसम से लड़ने  में सुधार करने में सक्षम बनाता है।

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