तेलंगाना में स्थापित होगा ‘सम्मक्का सरक्का केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय’

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तेलंगाना के मुलुगु जिले में सम्मक्का सरक्का केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय  (Sammakka Sarakka Central Tribal University) की स्थापना के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 में और संशोधन करने के लिए एक विधेयक, अर्थात् केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन), विधेयक, 2023 को संसद में पेश करने की मंजूरी दी है।  

नया विश्वविद्यालय न केवल राज्य में उच्च शिक्षा की पहुंच बढ़ाएगा और गुणवत्ता में सुधार करेगा, बल्कि राज्य में आदिवासी आबादी के लाभ के लिए आदिवासी कला, संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान प्रणाली में निर्देशात्मक और अनुसंधान सुविधाएं प्रदान करके उच्च शिक्षा और उन्नत ज्ञान के रास्ते को भी बढ़ावा देगा।

विश्वविद्यालय का नाम आदिवासी देवी-समक्का और सारक्का के नाम पर रखा जाएगा।

मेदाराम जतारा

मेदाराम जतारा (Medaram Jatara) कुंभ मेले के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा मेला है, जो तेलंगाना के दूसरे सबसे बड़े जनजातीय समुदाय- कोया जनजाति द्वारा मुलुगु जिले के मेदाराम गांव में चार दिनों तक मनाया जाता है।

एशिया के सबसे बड़े जनजातीय मेले के रूप में प्रसिद्ध मेदाराम जतारा देवी सम्मक्का और सरलम्मा (Sammakka and Saralamma) के सम्मान में आयोजित किया जाता है।

यह दो साल में एक बार ‘माघ’ (फरवरी) महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

सरलाम्मा सम्मक्का की बेटी थी। उनकी मूर्ति, अनुष्ठानों के अनुसार, मेदाराम के पास एक छोटे से गाँव कन्नेपल्ली के एक मंदिर में स्थापित की गई है।

यह मेला 12वीं शताब्दी में तत्कालीन काकतीय शासकों द्वारा सूखे की स्थिति के दौरान आदिवासी लोगों पर कर लगाने के खिलाफ मां-बेटी की जोड़ी सम्मक्का और सरलम्मा के नेतृत्व में हुए आदिवासी विद्रोह की याद में आयोजित किया जाता है।

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