राइट टू डाई विद डिग्निटी

कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग ने 30 जनवरी, 2025 को एक आदेश जारी किया, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले को लागू करने का आदेश दिया गया, जिसमें असाध्य रूप से बीमार रोगियों को सम्मान के साथ मरने (right to die with dignity-राइट टू डाई विद डिग्निटी) की अनुमति दी गई थी। केरल के बाद कर्नाटक यह निर्देश लागू करने वाला दूसरा राज्य है।

इससे उन लोगों को मदद मिलेगी जिनके ठीक होने की कोई उम्मीद नहीं है या जो लगातार निष्क्रिय अवस्था में हैं और जिनके मरीज को जीवन रक्षक उपचार से कोई लाभ नहीं मिल रहा है।

24 जनवरी, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत राइट टू लाइफ में सम्मान के साथ मरने का अधिकार भी शामिल है।

सर्वोच्च न्यायालय ने माना था कि लंबे समय से चिकित्सा उपचार ले रहे, ऐसे मरीज जिनके ठीक होने की कोई उम्मीद नहीं है और जो निर्णय लेने की क्षमता खो चुके हैं, असाध्य रोग से पीड़ित ऐसे  रोगियों के लिए जीवन रक्षक उपचार (withhold or withdraw life-sustaining treatment: WLST) को रोकना या वापस लेना उचित होगा; तो निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार WLST उपयुक्त हो सकता है।

कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग ने एक अग्रिम चिकित्सा निर्देश ( advance medical directive) या ‘लिविंग विल’ भी जारी किया है, जिसमें कोई मरीज भविष्य में अपने चिकित्सा उपचार के बारे में अपनी इच्छाएं दर्ज कर सकता है।

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