RBI ने स्मॉल फाइनेंस बैंक (SFB) को यूनिवर्सल बैंक बनने के लिए पात्रता तय किए

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 27 अप्रैल को लघु वित्त बैंकों (small finance banks: SFBs) को यूनिवर्सल बैंकों में स्वैच्छिक बदलाव के लिए दिशानिर्देश जारी किए।

SFBs से यूनिवर्सल बैंक में परिवर्तन के लिए आवेदन का मूल्यांकन 1 अगस्त, 2016 को निजी क्षेत्र में यूनिवर्सल बैंकों के ‘ऑन टैप’ लाइसेंसिंग के दिशानिर्देशों के अनुसार किया जाएगा।

5 दिसंबर, 2019 को जारी “निजी क्षेत्र में SFB की ‘ऑन-टैप’ लाइसेंसिंग के लिए दिशानिर्देश”, SFB को यूनिवर्सल बैंक बनने के लिए एक ट्रांज़िशन रूट प्रदान करते हैं। RBI ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 22 (1) के तहत RBI को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए ये दिशानिर्देश जारी किए।

स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड SFB ही यूनिवर्सल बैंक बनने के लिए पात्र होंगे।

यूनिवर्सल बैंक बनने का इरादा रखने वाले SFB की न्यूनतम नेटवर्थ 1,000 करोड़ रुपये होनी चाहिए।

ऐसे SFB के पास अनुसूचित दर्जा और कम से कम पांच वर्षों का संतोषजनक ट्रैक रिकॉर्ड होना चाहिए, जिसमें सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) 3 प्रतिशत या उससे कम और पिछले दो वित्तीय वर्षों में नेट एनपीए 1 प्रतिशत या उससे कम होना चाहिए।

इच्छुक SFB ने पिछले दो वित्तीय वर्षों में शुद्ध लाभ दर्ज किया हो और निर्धारित पूंजी पर्याप्तता मानदंडों को पूरा किया हो।

विविध ऋण पोर्टफोलियो वाले SFB को प्राथमिकता दी जाएगी।

यूनिवर्सल बैंक (यूबी) वास्तव में वाणिज्यिक बैंक, वित्तीय संस्थान, एनबीएफसी जैसी वित्तीय संस्थाएं हैं जो कई वित्तीय लेनदेन करते हैं।

नरसिम्हम समिति द्वारा यूनिवर्सल बैंक को विकास वित्तीय संस्थान (DFI) के रूप में रेखांकित किया गया था।

लघु वित्त बैंक (SFB) एक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत केंद्रित वित्तीय संस्थान हैं जो देश के कम बैंकिंग सेवा वाले और बिना बैंक वाले क्षेत्रों में बैंकिंग और क्रेडिट सेवाएं प्रदान करते हैं।

SFB की अवधारणा रघुराम राजन समिति ने रखी थी। वर्ष 2014-15 के केंद्रीय बजट घोषणा के बाद, आरबीआई ने नवंबर 2014 में लघु वित्त बैंकों के लिए दिशानिर्देश जारी किए। SFB कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत हैं और बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949; आरबीआई अधिनियम, 1934 और समय-समय पर अन्य प्रासंगिक क़ानून और निर्देश द्वारा शासित हैं;। भारत में लघु वित्त बैंक आरबीआई के विनियमन के तहत कार्यरत हैं।

लघु वित्त बैंक बुनियादी बैंकिंग सेवाएं जैसे बचत खाते, चालू खाते, सावधि जमा, आवर्ती जमा, ऋण इत्यादि प्रदान करते हैं। हालांकि, वे किसी भी गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाओं की पेशकश करने के लिए कोई सहायक कंपनी स्थापित नहीं कर सकते हैं।

रिजर्व बैंक ने लघु वित्त बैंकों के लिए न्यूनतम पूंजी आवश्यकता को बढ़ाकर 200 करोड़ रुपये कर दिया है और पेमेंट्स बैंक को SFB के रूप में अपग्रेड करने की अनुमति दी है। SFB और पेमेंट्स बैंक के बीच अंतर यह है कि पेमेंट बैंक्स को ऋण देने की अनुमति नहीं है।

SFB को वाणिज्यिक बैंकों के लिए निर्धारित नकद आरक्षित अनुपात (CRR) और वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) बनाए रखने की आवश्यकता है। स्माल फाइनेंस बैंक्स द्वारा दिए गए ऋण का लगभग 75 प्रतिशत प्राथमिकता वाले क्षेत्र को देना होता है।

ऑन-टैप बैंक लाइसेंसिंग (On-tap bank licensing) सुविधा पूरे वर्ष आरबीआई में बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन करने के लिए एक विंडो प्रदान करती है। वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने और अधिक वित्तपोषण संस्थानों के निर्माण की दृष्टि से यह साल भर की विंडो 2016 में शुरू की गई थी।

इससे पहले, आरबीआई द्वारा आवेदन आमंत्रित करने पर ही बैंकिंग लाइसेंस दिए जाते थे।

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