भारतीय  रिजर्व बैंक ने ग्रीन डिपॉजिट की स्वीकार्यता के लिए फ्रेमवर्क जारी किया

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 11 अप्रैल को विनियमित संस्थाओं (RE) के ग्रीन डिपॉजिट की स्वीकार्यता के लिए फ्रेमवर्क (framework for acceptance of Green Deposits of regulated entities) की घोषणा की है।

ग्रीन डिपॉजिट का अर्थ है एक निश्चित अवधि के लिए  रेगुलेटेड एंटिटीज  द्वारा प्राप्त ब्याज-युक्त डिपॉजिट और जिसकी आय को ग्रीन फाइनेंस के लिए आवंटित करने के लिए निर्धारित किया जाता है।

फ्रेमवर्क का उद्देश्य

इस फ्रेमवर्क का उद्देश्य रेगुलेटेड एंटिटीज (RE) को ग्राहकों को ग्रीन डिपॉजिट ऑफर करने, जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करने, ग्राहकों को उनकी सततता के एजेंडे को प्राप्त करने में सहायता करने, ग्रीनवाशिंग से जुड़ी चिंताओं को दूर करने और ग्रीन गतिविधियों/परियोजनाओं के लिए ऋण के प्रवाह को बढ़ाने में मदद करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

रेगुलेटेड एंटिटीज (RE)  केवल रुपये मूल्यवर्ग में ग्रीन डिपॉजिट स्वीकार कर सकती हैं और पात्र ग्रीन गतिविधियों/परियोजनाओं को इससे अर्जित आय आवंटित कर सकती हैं।  

यह फ्रेमवर्क क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, लोकल एरिया बैंकों और पेमेंट बैंकों को छोड़कर लघु  वित्त बैंकों सहित अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों सहितजमा-स्वीकार करने वाली  सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) पर लागू होता है।

फ्रेमवर्क के अनुसार, रेगुलेटेड एंटिटीज को ग्रीन डिपॉजिट के माध्यम से जुटाई गई आय को ग्रीन गतिविधियों/परियोजनाओं की अग्रलिखित सूची के लिए आवंटित करने की आवश्यकता होगी: संसाधन उपयोग में ऊर्जा दक्षता को प्रोत्साहित करने वाली परियोजनाएं, कार्बन उत्सर्जन और ग्रीनहाउस गैसों को कम करने वाली परियोजनाएं, जलवायु लचीलापन और/या अनुकूलन और मूल्य को बढ़ावा देने वाली  परियोजनाएं, और प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता में सुधार करने वाली परियोजनाएं।

रेगुलेटेड एंटिटीज को कवर करने वाले ग्रीन डिपॉजिट के प्रभावी आवंटन के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित फाइनेंसिंग फ्रेमवर्क (FF) में रखा जाएगा।

पंजीकृत संस्थाएँ संचयी या गैर-संचयी जमा के रूप में ग्रीन डिपॉजिट जारी करेंगी।

परिपक्वता पर, जमाकर्ता के विकल्प पर ग्रीन डिपॉजिट का नवीनीकरण या निकासी की जाएगी।

एक वित्तीय वर्ष के दौरान रेगुलेटेड एंटिटीज  द्वारा ग्रीन डिपॉजिट के माध्यम से जुटाई गई धनराशि का आवंटन वार्षिक आधार पर किये जाने वाले स्वतंत्र तृतीय-पक्ष सत्यापन/आश्वासन पर निर्भर होगा। 

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