RBI ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये के डिविडेंड का भुगतान किया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 22 मई को 2023-24 के लिए केंद्र सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये के लाभांश भुगतान को मंजूरी दी, जो पिछले 2022-23 वित्तीय वर्ष के लिए भुगतान की गई राशि के दोगुने से भी अधिक है। 2022-23 के लिए लाभांश भुगतान 87,416 करोड़ रुपये था।

यह निर्णय RBI गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में आयोजित भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की 608वीं बैठक में लिया गया।
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आकस्मिकता जोखिम बफर (Contingent Risk Buffer: CRB) को बढ़ाकर 6% कर दिया गया।

CRB ‘रेनी डेज’ ( वित्तीय स्थिरता संकट) के लिए देश की बचत है जिसे “अंतिम सहारा ऋणदाता (Lender of Last Resort: LoLR)” के रूप में अपनी भूमिका के मद्देनजर RBI के पास सुरक्षित रखा जाता है।

यह आरबीआई की आर्थिक पूंजी का घटक है जो इसकी मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता, क्रेडिट और ऑपरेशनल रिस्क को कवर करने के लिए आवश्यक है।
रेनी डे फंड अप्रत्याशित खर्चों को कवर करने के लिए अलग रखा गया एक नकदी आरक्षित है।

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अधिक डिविडेंड भुगतान से सरकार को राजकोषीय घाटे को कम करने में मदद मिलेगी; यह अतिरिक्त राशि का उपयोग खर्च के लिए कर सकती है या सकल उधार में कटौती करके राजकोषीय घाटे को कम कर सकती है।

आरबीआई अधिनियम, 1934 के तहत, भारतीय रिजर्व बैंक के लिए केंद्र सरकार को सरप्लस प्रॉफिट का भुगतान करना आवश्यक है।

कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, बैंकों को वित्त पोषण सहायता प्रदान करने के लिए पिछले वर्ष आयोजित वैरिएबल रेपो दर (VRR) नीलामी से आरबीआई के राजस्व में वृद्धि हुई है।

विदेशी मुद्रा भंडार पर पुनर्मूल्यांकन लाभ, घरेलू और विदेशी प्रतिभूतियों पर मिली उच्च ब्याज दरें और विदेशी मुद्रा की काफी अधिक सकल बिक्री को भी सरकार को आरबीआई द्वारा हाई डिविडेंड के भुगतान को भी कारण बताया जा रहा है।

आरबीआई आम तौर पर अपने डॉलर होल्डिंग्स पर निवेश और वैल्यूएशन में परिवर्तन पर अर्जित सरप्लस इनकम और नोटों की छपाई से मिलने वाली फीस से लाभांश का भुगतान करता है।

डॉलर के मुकाबले रुपये का अवमूल्यन भी सरप्लस ट्रांसफर पर असर डालता है।

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