राज्यसभा ने डाकघर विधेयक 2023 पारित किया

राज्यसभा ने 4 दिसंबर को डाकघर विधेयक 2023 (Post Office Bill 2023) पारित कर दिया। यह विधेयक औपनिवेशिक युग के भारतीय डाकघर अधिनियम 1898 की जगह लेगा जिसने 125 वर्षों तक भारत की डाक सेवाओं को प्रशासित किया है।

इस विधेयक का उद्देश्य डाकघरों के लिए एक सरल कानूनी फ्रेमवर्क प्रदान करना है, जिससे सिटीजन सेंट्रिक सेवाओं के नेटवर्क में उनके विकास को सुविधाजनक बनाया जा सके।

यह केंद्र सरकार को अधिसूचना के माध्यम से अधिकारियों को राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, आपातकाल या लागू  कानूनों के उल्लंघन से संबंधित कारणों से किसी पार्सल को रोकने, खोलने या जब्त करने का अधिकार देने की अनुमति देता है।

केंद्र सरकार को अब लिखित आदेश जारी करने की आवश्यकता के बिना किसी भी वस्तु को रोकने, खोलने या अपने कब्जे में लेने का अधिकार है।

प्रस्तावित कानून डाक सेवाओं के महानिदेशक को सेवाएं प्रदान करने के लिए नियम बनाने और शुल्क तय करने का अधिकार देता है।

यह विधेयक सरकार और अधिकारियों को डाक से भेजी जा रही सामग्रियों के नुकसान, गलत वितरण, देरी या क्षति से संबंधित दायित्व से छूट देता है। हालांकि, यह प्रावधान करता है कि केंद्र सरकार नियमों के तहत इंडिया पोस्ट द्वारा सेवाओं के संबंध में दायित्व निर्धारित कर सकती है।

डाक टिकट विशेष रूप से डाकघर द्वारा जारी किए जाएंगे।

भारतीय डाकघर अधिनियम (1898) मुख्य रूप से ब्रिटिश भारत में डाकघरों के कामकाज को नियंत्रित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। यह कानून मुख्य रूप से नियमित सेवाओं को संबोधित करता था जो मुख्य रूप से पत्रों के वितरण और इसी तरह के कार्यों से संबंधित थीं।

पिछले साढ़े नौ वर्षों में डाक सेवाएँ, पोस्ट ऑफिस और पोस्टमैन केवल पत्र-व्यवहार तक ही सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि कई तरह की सेवा प्रदाता संस्थानों में तब्दील हो गए हैं।

पिछले कुछ वर्षों में डाकघर एक तरह से बैंक बन गए हैं।

डाक व्यवस्था को बैंकिंग व्यवस्था में बदलने का प्रमुख माध्यम इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक ने महिलाओं के लिए 3.5 करोड़ खाते खोले हैं। डाकघर 30 मिलियन से अधिक लोगों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर  योजना की सुविधा प्रदान करता है।

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