रेडियोकार्बन डेटिंग (कार्बन -14)
रेडियोकार्बन डेटिंग (Radiocarbon dating) रेडियोकार्बन का उपयोग करके किसी वस्तु की आयु निर्धारित करने का एक तरीका है। रेडियोकार्बन आइसोटोप कार्बन -14 (carbon-14) का एक नाम है।
अमेरिकी भौतिक रसायनज्ञ विलार्ड लिब्बी को कार्बनिक पदार्थों की तिथि निर्धारण के लिए कार्बन-14 का उपयोग करने के विचार की कल्पना करने का श्रेय दिया जाता है।
कैसे काम करती है रेडियो कार्बन डेटिंग?
कार्बन-14 पृथ्वी के वायुमंडल में तब बनता है जब ब्रह्मांडीय किरणें (cosmic rays) गैसों के परमाणुओं से टकराती हैं और न्यूट्रॉन छोड़ती हैं। जब ये न्यूट्रॉन नाइट्रोजन-14 नाइट्रोजन आइसोटोप के साथ संपर्क करते हैं, तो वे कार्बन-14 का उत्पादन कर सकते हैं।
चूंकि कॉस्मिक किरणें लगातार पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजर रही होती हैं, इसलिए वहां कार्बन-14 लगातार बनता रहता है।
कार्बन-14 वायुमंडलीय ऑक्सीजन के साथ मिलकर रेडियोएक्टिव कार्बन डाइऑक्साइड बनाता है। यह कंपाउंड कार्बन सायकल के माध्यम से पौधों (प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से), जानवरों (जब वे पौधों को खाते हैं) और अन्य बायोमास के शरीर में प्रवेश करता है।
जब एक कार्बनिक यूनिट (उदाहरण: मानव शरीर) ‘जीवित’ होती है, तो वह सांस लेने, भोजन करने, शौच करने, त्वचा छोड़ने आदि के माध्यम से अपने आसपास के परिवेश यानी एनवायरनमेंट के साथ लगातार कार्बन का आदान-प्रदान करती है।
इन गतिविधियों के माध्यम से, कार्बन -14 शरीर से नष्ट भी होता है और उसकी भरपाई भी होती रहती है। इस तरह जीवित शरीर में इसकी सांद्रता या लेवल लगभग स्थिर (कांस्टेंट) रहती है और अपने आसपास के परिवेश यानी एनवायरनमेंट के साथ संतुलन में रहती है।
जब यह व्यक्ति मर जाता है, तो शरीर ये गतिविधियाँ नहीं करता है और शरीर में कार्बन-14 की सांद्रता रेडियोएक्टिव क्षय या नुकसान के माध्यम से कम होने लगती है। जितना अधिक समय बीतेगा, कार्बन-14 की मात्रा उतनी ही अधिक नष्ट होगी और उतनी ही कम रहेगी। इस क्षय दर (decay rate) का अनुमान कई सिद्धांतों से लगाया जा सकता है।
रेडियोकार्बन डेटिंग किसी वस्तु में बचे कार्बन-14 की मात्रा को मापकर उसका निर्धारण करती है, जिसका उपयोग वैज्ञानिक और/या कंप्यूटर यह गणना करने के लिए कर सकते हैं कि शरीर कितने समय पहले समाप्त हो गया था।
चूँकि कार्बन-14 लगभग 5,730 वर्षों की अर्द्ध-आयु यानी हाफ लाइफ/half-life (जीवित शरीर के मूल कार्बन-14 लेवल की तुलना में आधे तक क्षय होने में लगने वाला समय) के साथ क्षय होता है, इसलिए इसकी उपस्थिति का उपयोग लगभग 60 सहस्राब्दी पुराने (60 millennia old) सैम्पल्स की तारीख तय करने के लिए किया जा सकता है। इसके परे, सैंपल्स में कार्बन-14 की सांद्रता में 99% से अधिक की गिरावट आ जाती है।
रेडियोएक्टिव क्षय (radioactive decay) का अध्ययन करने वाला एक टूल गीगर काउंटर (Geiger counter) है। इसमें कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स से जुड़ी गीजर-मुलर ट्यूब होती है जो संकेतों की व्याख्या और प्रदर्शन करती है।
सबसे संवेदनशील डेटिंग सेटअपों में से एक एक्सेलेरेटर मास स्पेक्ट्रोमेट्री (accelerator mass spectrometry: AMS) का उपयोग करता है, जो कम से कम 50 मिलीग्राम कार्बनिक सैंपल्स के साथ काम कर सकता है।