पायरोसिस्टिस नोक्टिलुका (Pyrocystis noctiluca)

करंट बायोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित एक शोधपत्र में, शोधकर्ताओं ने बायोल्यूमिनसेंट फाइटोप्लांकटन की एक प्रजाति “पायरोसिस्टिस नोक्टिलुका” (Pyrocystis noctiluca) का वर्णन किया है। इस प्रजाति की विशेषता यह है कि यह कुछ सौ माइक्रोन के अपने मूल आकार से छह गुना तक बढ़ जाती है।

औसतन फाइटोप्लांकटन (Phytoplankton) समुद्री जल से 5%-10% भारी होते हैं, जिसका अर्थ है कि यदि वे प्रकाश संश्लेषण के लिए जल सतह पर रहना चाहते हैं, तो उन्हें गुरुत्वाकर्षण को मात देने का एक तरीका खोजना होगा।

शोधकर्ताओं ने पाया कि पी. नोक्टिलुका कोशिकाएं छोटी पनडुब्बियों की तरह व्यवहार करती हैं जो अपने घनत्व यानी वजन को नियंत्रित कर सकती हैं। इससे वे महासागर की जल सतह पर बने रह सकते हैं।

फाइटोप्लांकटन एकल कोशिका वाली प्रजातियां हैं। फाइटोप्लांकटन, जिसे माइक्रोशैवाल के रूप में भी जाना जाता है, स्थलीय पौधों के समान हैं, जिनमें क्लोरोफिल होता है और जीवित रहने और बढ़ने के लिए सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है।

अधिकांश फाइटोप्लांकटन उत्प्लावन वाले होते हैं और समुद्र के ऊपरी भाग में तैरते हैं, जहां सूर्य का प्रकाश पानी में प्रवेश करता है। फाइटोप्लांकटन को नाइट्रेट्स, फॉस्फेट और सल्फर जैसे अकार्बनिक पोषक तत्वों की भी आवश्यकता होती है, जिन्हें वे प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित करते हैं।

फाइटोप्लांकटन के दो मुख्य वर्ग डाइनोफ्लैजलेट्स और डायटम (dinoflagellates and diatoms) हैं।

डाइनोफ्लैगलेट्स पानी में गति करने के लिए चाबुक जैसी पूंछ या फ्लैगेला (flagella) का उपयोग करते हैं और उनके शरीर जटिल खोल से ढके होते हैं।

वहीं, डायटम पानी में तैरने के लिए फ्लैगेला पर निर्भर नहीं होते हैं। इसके बदले वे जल में तैरने के लिए समुद्री धाराओं पर निर्भर होते हैं।

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