पंजाब विधानसभा ने राज्य सरकार को डीजीपी नियुक्त करने का अधिकार देने हेतु विधेयक पारित किया
पंजाब राज्य विधानसभा ने राज्य में पुलिस महानिदेशक (DGP) की नियुक्ति के लिए पंजाब पुलिस अधिनियम, 2007 में प्रमुख खंड और उप-खंडों में संशोधन और स्थानापन्न करने के लिए पंजाब पुलिस (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया।
अगर यह बिल कानून बन जाता है तो राज्य सरकार अपनी पसंद का डीजीपी नियुक्त करेगी।
मुख्य तथ्य
पुलिस सुधारों पर पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की याचिका में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार, राज्य सरकार को योग्य अधिकारियों का एक पैनल संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को भेजना होता है, जो पैनल से तीन अधिकारियों को शॉर्टलिस्ट करेगा और राज्य सरकार उन तीनों में से अपनी पसंद के अधिकारी को DGP के पद पर नियुक्त करेगी।
यूपीएससी के मानदंडों के अनुसार, राज्य सरकार को यूपीएससी की पांच सदस्यीय समिति को पात्र अधिकारियों का एक पैनल भेजना होता है।
वर्ष 2006 के सुप्रीम कोर्ट आदेश में कहा गया है कि डीजीपी को 30 साल के न्यूनतम सेवा रिकॉर्ड वाले तीन वरिष्ठतम आईपीएस अधिकारियों में से चुना जाना चाहिए, जिन्हें संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा उस रैंक पर पदोन्नति के लिए सूचीबद्ध किया जाता है।
अधिकारी को सेवा से सेवानिवृत्ति की तिथि पर ध्यान दिए बिना कम से कम दो वर्ष का न्यूनतम कार्यकाल प्रदान किया जाना चाहिए।
हालाँकि, 20 जून को पंजाब विधानसभा द्वारा पारित पंजाब पुलिस (संशोधन) विधेयक, 2023 ने उस प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया है। नयी व्यवस्था के तहत DGP के पद पर नियुक्ति के लिए पंजाब सरकार को तीन वरिष्ठतम अधिकारियों का एक पैनल बनाने के लिए सात सदस्यीय पैनल समिति बनाने का अधिकार दिया गया है।
पंजाब सरकार का मानना है कि भारत के संविधान, 1950 की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य सूची में “सार्वजनिक व्यवस्था” और “पुलिस” का उल्लेख है। ऐसे में इस पर कानून बनाने का अधिकार राज्य के पास है।