पुंगनूर नस्ल की गाय: प्रमुख विशेषताएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 जनवरी को पोंगल/मकर संक्रांति के अवसर पर अपने आवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर गायों को चारा खिलाया। प्रधानमंत्री आवास की तस्वीरों में दिख रहे सभी मवेशी आंध्र प्रदेश की पुंगनूर नस्ल (Punganur) के हैं।

पुंगनूर एक  देशी नस्ल है जो दक्षिणी आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र में चित्तूर जिले के पुंगनूर, वायलपाडु, मदनपल्ली और पालमनीर तालुका की नेटिव नस्ल है।

यह गाय एक अनोखी बौनी नस्ल की हैं, जिन्हें दुनिया में सबसे छोटे कूबड़ वाला मवेशी माना जाता है। इसका छोटा कद इन्हें घर में रखना आसान बनाता है।

पुंगनूर गायें सफेद या भूरे, या हल्के या गहरे भूरे रंग की हो सकती हैं। इस गाय के दूध में Au तत्व भी होता है, जो सोने का रासायनिक नाम है। आज भी, आंध्र प्रदेश के कई मंदिर, जिनमें प्रसिद्ध तिरूपति थिरुमाला मंदिर भी शामिल है, क्षीराभिषेकम (भगवान को दूध अर्पित करना) के लिए पुंगनूर गाय के दूध का उपयोग करते हैं।

यह गाय एक बार बछड़ा को जन्म देने के बाद 260 दिनों में 540 लीटर तक दूध दे देती है। पुंगनूर गाय एक दिन में 1 से 3 लीटर तक दूध दे सकती है, और दूध में वसा की मात्रा 8 प्रतिशत होती है, जबकि अन्य देशी नस्लों में यह 3 से 4 प्रतिशत होती है।

पुंगनूर गाय की सबसे ख़ास विशेषता यह है कि यह नस्ल सूखा प्रतिरोधी होती है।

पशुधन गणना-2013 के मुताबिक, आंध्र प्रदेश में पुंगनूर गायों की संख्या सिर्फ 2,772 थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में पुंगनूर नस्ल के संरक्षण पर काफी काम हुआ है।

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