प्रथम बोडोलैंड महोत्सव का उद्घाटन
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 15 नवंबर को नई दिल्ली में प्रथम बोडोलैंड महोत्सव (1st Bodoland Mohotsav) का उद्घाटन किया। यह शांति बनाए रखने और एक जीवंत बोडो समाज के निर्माण के लिए भाषा, साहित्य और संस्कृति पर दो दिवसीय मेगा कार्यक्रम था।
यह न केवल बोडोलैंड में बल्कि असम, पश्चिम बंगाल, नेपाल और पूर्वोत्तर के अन्य अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले स्वदेशी बोडो लोगों को एकीकृत करने के लिए आयोजित किया गया था।
इस मोहोत्सव की थीम ‘समृद्ध भारत के लिए शांति और सद्भाव’ (Peace and Harmony for Prosperous Bharat) थी, जिसमें बोडो समुदाय के साथ-साथ बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) के अन्य समुदायों की समृद्ध संस्कृति, भाषा और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
इसका उद्देश्य बोडोलैंड की सांस्कृतिक और भाषाई विरासत, पारिस्थितिक जैव विविधता और पर्यटन क्षमता की समृद्धि का लाभ उठाना है।
इस उत्सव के दौरान समृद्ध बोडो कला और शिल्प जैसे अरोन्नाये, दोखोना, गमसा, कराई-दखिनी, थोरखा, जौ गिशी, खाम (Aronnaye, Dokhona, Gamsa, Karai-Dakhini, Thorkha, Jau Gishi, Kham ) और अन्य उत्पाद जिन्हें भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त हुआ है, का प्रदर्शन किया गया।
असम की बोडो जनजातियाँ भारत में सबसे बड़ा नृ-भाषीसमूह (ethnolinguistic) है। वे बड़े बोडो-कचारी परिवार समूहों का एक हिस्सा हैं।