प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-किसान) के तहत 16,000 करोड़ रुपये की 12वीं किस्त जारी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 17 अक्टूबर को नई दिल्ली में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (Pradhan Mantri Kisan Samman Nidhi: PM-KISAN) के तहत 16,000 करोड़ रुपये की 12वीं किस्त भी जारी की।
PM-किसान के बारे में
पीएम-किसान एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना (central sector scheme) है।
इस योजना का शुभारंभ 24 फरवरी, 2019 को भूमि धारक किसानों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया था।
योजना के अनुसार प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से देश भर के किसान परिवारों के बैंक खातों में हर चार महीने में तीन समान किस्तों में 6000/- रुपये प्रति वर्ष का वित्तीय लाभ हस्तांतरित किया जाता है।
यह योजना शुरू में ऐसे छोटे और सीमांत किसानों (SMF) के लिए थी, जिनके पास 2 हेक्टेयर तक की भूमि थी, लेकिन 01.06.2019 से योजना का दायरा सभी भूमिधारक किसानों को शामिल करने के लिए बढ़ा दिया गया था।
पीएम-किसान : नए फीचर जोड़े गए
इस योजना की स्थापना के बाद से, तकनीकी और प्रक्रिया प्रगति के कई सेट इस योजना में शामिल किए गए हैं ताकि अधिक से अधिक लाभार्थी प्रभावी तरीके से इसका फायदा ले सकें:
स्व-पंजीकरण व्यवस्था: किसानों को अधिकतम लाभ देने के लिए मोबाइल ऐप, पीएम किसान पोर्टल और कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से वॉक-इन के माध्यम से लाभार्थियों के स्व-पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल और आसान बना दिया गया है।
बढ़ी हुई वसूली व्यवस्था: अपात्र लाभार्थी के मामले में, वसूली व्यवस्था को बहुत सहज और पारदर्शी बनाया गया है जिसके लिए राज्य द्वारा डिमांड ड्राफ्ट या वास्तविक रूप से चेक जमा करने की आवश्यकता नहीं होती है। इस प्रक्रिया में राज्य के नोडल विभाग के खाते से केंद्र सरकार के खाते में स्वचालित अंतरण शामिल है जिसने इस प्रक्रिया को बहुत कुशल और कम समय लेने वाला बना दिया है।
शिकायत निवारण और हेल्पडेस्क: लाभार्थियों को होने वाली परेशानियों वाले मुद्दों और समस्याओं के समाधान के लिए, एक समग्र शिकायत निवारण व्यवस्था की परिकल्पना की गई है जिसमें केंद्र में पीएम किसान सम्मान निधि योजना की एक केंद्रीय परियोजना प्रबंधन इकाई की स्थापना शामिल है जो सभी हितधारकों के बीच प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए समग्र समन्वय करता है। पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान आने वाली किसी भी समस्या या किसी अन्य प्रश्न के संबंध में लाभार्थियों का समर्थन करने के लिए एक केंद्रीकृत हेल्पडेस्क भी शुरू की गई है।
वास्तविक (फिजिकल) रूप से सत्यापन की व्यवस्था: योजना की प्रामाणिकता और वैधता बनाए रखने के लिए, योजना में निर्धारित प्रावधानों के अनुसार हर साल 5 प्रतिशत लाभार्थियों का अनिवार्य रूप से वास्तविक सत्यापन किया जा रहा है। वास्तविक रूप से सत्यापन व्यवस्था की सहायता से, अब भौतिक सत्यापन के लिए लाभार्थी का चयन पूरी तरह से स्वचालित हो गया है और किसी व्यक्ति विशेष के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। 14 मई, 2021 को अंतिम तिमाही के भुगतान के बाद 10 प्रतिशत लाभार्थियों के सत्यापन के लिए एक अलग मॉड्यूल पेश किया गया है।
आयकर सत्यापन: इस योजना में लाभार्थी डेटाबेस को नियमित रूप से आयकरदाता डेटाबेस के साथ सत्यापित किया जा रहा है ताकि एक लेखा परीक्षित और प्रमाणित उपयोगकर्ता आधार प्राप्त हो सके।
जनसांख्यिकीय आधार प्रमाणीकरण: इस पूरी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और प्रमाणित बनाने के लिए आधार सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है।