ONGC ने कृष्णा गोदावरी (KG) बेसिन में अपना ‘पहला तेल उत्पादन’ शुरू किया

तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC)) ने 7 जनवरी को काकीनाडा तट पर बंगाल की खाड़ी से दूर कृष्णा गोदावरी (KG) बेसिन में डीप वाटर KG-डीडब्ल्यूएन 98/2 ब्लॉक से अपना ‘पहला तेल उत्पादन’ शुरू किया।

यह बेसिन समुद्र तट से लगभग 25 किमी दूर है।

सरकार के अनुसार, 26 कुओं में से चार वर्तमान में उत्पादन कर रहे हैं, और मई या जून 2024 तक उत्पादन 45,000 बैरल प्रति दिन या देश में कुल कच्चे तेल उत्पादन का 7% तक पहुंचने का अनुमान है।

गौरतलब है कि भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और आयातक है, और अपनी घरेलू जरूरतों के अनुरूप कच्चे तेल के लिए विभिन्न स्रोतों से वैश्विक बाजार पर निर्भर करता है।

कृष्णा गोदावरी बेसिन भारत के पूर्वी तट पर स्थित कॉन्टिनेंटल मार्जिन (महाद्वीपीय मग्नतट) का एक प्रमाणित पेट्रोलियम बेसिन है। इसका भूमि भाग 15000 वर्ग किमी के क्षेत्र को कवर करता है और अपतटीय भाग 1000 मीटर आइसोबाथ तक 25,000 वर्ग किमी के क्षेत्र को कवर करता है।

बेसिन में निक्षेप के कई चक्रों के साथ लगभग 5 किमी मोटी तलछट है, जो लेट कार्बोनिफेरस से लेकर प्लेइस्टोसिन तक की है।

कृष्णा-गोदावरी बेसिन प्रमाणित पेट्रोलिफेरस बेसिन है जिसमें सबसे पुराने पेरमो-ट्राइसिक मंडापेटा बलुआ पत्थर (Permo-Triassic Mandapeta Sandston) से लेकर डीप वाटर के अपतटीय सबसे युवा प्लेइस्टोसिन चैनल लेवी परिसरों में वाणिज्यिक हाइड्रोकार्बन संचय है।

बेसिन को चार पेट्रोलियम प्रणालियों से संपन्न किया गया है, जिन्हें उनकी विशिष्ट विवर्तनिक और तलछटी यानी सेडीमेंटरी विशेषताओं को देखते हुए मोटे तौर पर दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है; प्री-ट्रैपियन और पोस्ट-ट्रैपियन (Pre-Trappean and Post-Trappean)।

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