हरिजन सेवक संघ के 90वें स्थापना दिवस के अवसर पर सद्भावना सम्मेलन 

हरिजन सेवक संघ (Harijan Sevak Sangh) के 90वें स्थापना दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में दो दिवसीय सद्भावना सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 24 सितंबर को कहा कि महात्मा गांधी के जाति और पंथ की परवाह किए बिना सभी मनुष्यों की समानता के दर्शन ने भारत के संविधान को प्रेरित किया।

श्री धनखड़ ने कहा कि गांधीवादी आदर्श संविधान के मौलिक अधिकारों और निर्देशक सिद्धांतों को अनुप्राणित करते हैं और महात्मा गाँधी की शिक्षाएं मानवता के लिए हमेशा प्रासंगिक रहेंगी।

उपराष्ट्रपति ने कहा, “महात्मा गांधी द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों से मानवता को अधिक लाभ होगा। आज दुनिया के सामने – गरीबी से लेकर जलवायु परिवर्तन और युद्ध तक कई खतरे हैं – गांधी जी के विचार इन सभी का समाधान प्रदान करते हैं।”

यह देखते हुए कि गांधीजी के स्वराज के विचार का अर्थ कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति का उत्थान है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरकार की खाद्य सुरक्षा, टीकाकरण, सार्वभौमिक बैंकिंग की सभी योजनाएं गांधीवादी भावना में हैं।

हरिजन सेवक संघ के बारे में

वर्ष 1932 में महात्मा गांधी और बाबासाहेब अम्बेडकर के बीच ऐतिहासिक पूना समझौते के बाद हरिजन सेवक संघ की स्थापना उसी वर्ष राष्ट्रपिता द्वारा की गई थी, जो उत्पीड़ित वर्गों या ‘हरिजनों’ के उत्थान के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिए प्रयासरत्त थे।

30 सितंबर 1932 को, गांधीजी ने समाज में अस्पृश्यता को दूर करने के लिए अखिल भारतीय अस्पृश्यता विरोधी लीग (All India Anti Untouchability League) की स्थापना की, जिसे बाद में ‘हरिजन सेवक संघ’ का नाम दिया गया।

उस समय उद्योगपति घनश्याम दास बिड़ला इसके संस्थापक अध्यक्ष थे और अमृतलाल ठक्कर (ठक्कर बाप्पा) इसके सचिव थे। इसका मुख्यालय दिल्ली के किंग्सवे कैंप में है, जिसकी भारत भर के 26 राज्यों में शाखाएँ हैं।

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