श्रम मंत्रियों के राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन: 4 श्रम संहिताओं पर विचार
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 25 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के श्रम मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना जैसे सरकार के विभिन्न प्रयासों को दोहराया, जिन्होंने श्रमिकों को एक प्रकार का सुरक्षा कवच प्रदान किया है। इन योजनाओं ने श्रमिकों को उनकी मेहनत और योगदान को मान्यता देने का आश्वासन दिया है।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, एक अध्ययन के अनुसार, “आपातकालीन ऋण गारंटी योजना ने महामारी के दौरान 1.5 करोड़ नौकरियों को बचाया।” प्रधानमंत्री ने बताया कि ई-श्रम पोर्टल श्रम बल को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने की महत्वपूर्ण पहलों में से एक है। केवल एक वर्ष में, पोर्टल पर 400 क्षेत्रों के लगभग 28 करोड़ श्रमिकों को पंजीकृत किया गया है। इससे निर्माण श्रमिक, प्रवासी मजदूर और घरेलू कामगार विशेष रूप से लाभान्वित हुए हैं।
उन्होंने सभी मंत्रियों से राज्य के पोर्टलों को ई-श्रम पोर्टल से जोड़ने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री ने कहा, कि 29 श्रम कानूनों को 4 सरल श्रम संहिताओं में बदल दिया गया है। यह न्यूनतम मजदूरी, नौकरी की सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा के माध्यम से श्रमिकों का सशक्तिकरण सुनिश्चित करेगा।
“श्रम” भारत के संविधान की समवर्ती सूची में
एक विषय के रूप में “श्रम” भारत के संविधान की समवर्ती सूची में है और संहिताओं के तहत, नियम बनाने की शक्ति केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों में निहित है।
4 श्रम संहिताएं
श्रम संहिता (वेतन संहिता/Wage Code) – 2019: चार श्रम कानूनों को न्यूनतम मजदूरी संहिता में समाहित किया गया है। इससे पहली बार सभी श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी का अधिकार मिला है। संगठित और असंगठित क्षेत्रों के 50 करोड़ श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी की गारंटी उपलब्ध है। • हर 5 साल में न्यूनतम मजदूरी की समीक्षा की जाएगी। न्यूनतम मजदूरी के निर्धारण को आसान बना दिया गया है। यह कौशल स्तर और भौगोलिक क्षेत्र जैसे मानदंडों पर आधारित होगा।
सामाजिक सुरक्षा संहिता/Social Security Code, 2020: सभी श्रमिकों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, केंद्र सरकार ने श्रमिकों के बीमा, पेंशन, ग्रेच्युटी, मातृत्व लाभ आदि के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए 9 श्रम कानूनों को सामाजिक सुरक्षा संहिता में समाहित किया है। अब असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के साथ-साथ सभी क्षेत्रों के श्रमिकों के लिए ESIC उपलब्ध है। नई तकनीक में लगे प्लेटफॉर्म और गिग वर्कर्स के लिए ESIC से जुड़ने का मौका। बागान श्रमिकों को ESIC का लाभ मिलेगा। • खतरनाक क्षेत्र में काम करने वाले संस्थानों को ESIC के साथ अनिवार्य रूप से पंजीकृत किया जाना है। संगठित, असंगठित और स्वरोजगार क्षेत्र के सभी श्रमिकों को पेंशन योजना (ईपीएफओ) का लाभ। असंगठित क्षेत्र को व्यापक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए सामाजिक सुरक्षा कोष का सृजन।
OSH कोड (व्यावसायिक, सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य दशा संहिता/Occupational, Safety, Health and Working Conditions Code) – 2020: 13 मौजूदा श्रम कानूनों को व्यावसायिक, सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य दशा संहिता, 2020 में शामिल किया गया है। पहले केवल एक ठेकेदार द्वारा नियुक्त श्रमिकों को अंतर-राज्य प्रवासी कामगार के रूप में मान्यता दी गई थी। अब, कोड के नए प्रावधानों के तहत, श्रमिक आत्मानिर्भर हो सकते हैं क्योंकि वे अब राष्ट्रीय पोर्टल पर खुद को अंतर-राज्य प्रवासी श्रमिक के रूप में पंजीकृत कर सकते हैं। इस प्रावधान से, कामगार को एक कानूनी पहचान मिलेगी जो उन्हें सभी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ प्राप्त करने में सक्षम बनाएगी। एक अंतर्राज्यीय प्रवासी कामगार को अपने मूल स्थान पर आने-जाने के लिए सालाना यात्रा भत्ता प्रदान करने के लिए नियोक्ताओं के लिए प्रावधान किया गया है। • कामगारों को नियुक्ति पत्र उपलब्ध कराना अनिवार्य कर दिया गया है। • नियोजकों द्वारा कामगारों की अनिवार्य, नि:शुल्क वार्षिक स्वास्थ्य जांच प्रदान की जाएगी। 240 दिनों के बजाय, अब यदि कोई कर्मचारी 180 दिन काम कर चुका है, तो वह हर 20 दिनों के काम के लिए एक दिन की सवेतन छुट्टी का हकदार होगा। महिलाओं को उनकी सहमति से रात्रि में काम करने का अधिकार दिया गया है और यह भी सुनिश्चित किया गया है कि नियोक्ता रात्रि में महिला श्रमिकों को सुरक्षा और सुविधाएं प्रदान करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था करें। महिला श्रमिकों के लिए मातृत्व सवेतन अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया है और 50 या अधिक श्रमिकों वाले सभी प्रतिष्ठानों में अनिवार्य क्रेच सुविधा सुनिश्चित करने के लिए 2017 में मातृत्व हितलाभ अधिनियम में संशोधन किया गया था।
औद्योगिक संबंध (IR) कोड/Industrial Relations (IR) Code, 2020: 3 श्रम कानूनों को औद्योगिक संबंध संहिता में समाहित करके केंद्र सरकार ने ट्रेड यूनियनों के साथ-साथ श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए कदम उठाए हैं। नौकरी छूटने की स्थिति में कर्मचारी को अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना के तहत लाभ मिलेगा। • अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना के तहत संगठित क्षेत्र के एक श्रमिक को अपनी नौकरी गंवानी पड़ती है, उसे सरकार की ओर से वित्तीय सहायता मिलती है। औद्योगिक प्रतिष्ठानों में, 51 प्रतिशत वोट वाले ट्रेड यूनियन को एकमात्र वार्ता संघ के रूप में मान्यता दी जाएगी जो नियोक्ताओं के साथ समझौता कर सकता है। • औद्योगिक प्रतिष्ठानों में जिसमें किसी भी ट्रेड यूनियन को 51 प्रतिशत वोट नहीं मिलते हैं, नियोक्ता के साथ समझौते करने के लिए ट्रेड यूनियनों की एक वार्ता परिषद का गठन किया जाएगा।