पाम डी’ओर और कान फिल्म समारोह का इतिहास
रुबेन ओस्टलंड (Ruben Östlund) द्वारा निर्देशित स्वीडिश व्यंग्य ‘ट्राएंगल ऑफ़ सैडनेस’ (Triangle of Sadness) ने 28 मई को कान फ़िल्म समारोह में पाम डी’ओर (Palme d’Or ) जीता। वर्ष 2017 की उनकी फ़िल्म द स्क्वायर के बाद, यह निर्देशक का दूसरा पाम डी’ओर था, जो दुनिया की समकालीन कला पर एक व्यंग्य था।
पाम डी’ओर (Palme d’Or) का इतिहास
- पाम डी’ओर (Palme d’Or) फिल्म उद्योग में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है। यह कान फिल्म समारोह में भाग लेने वालों में सर्वश्रेष्ठ फिल्म को सम्मानित किया जाता है।
- पहला कान समारोह 1939 में आयोजित किया गया था हालाँकि द्वितीय विश्व युद्ध के कारण इसमें व्यवधान पैदा हो गया और वर्ष 1946 तक इसे टाल दिया गया । इस तरह पहला कान अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (first Cannes International Film Festival ) आधिकारिक तौर पर 20 सितंबर 1946 को फ्रांस के कान के पूर्व कैसीनो में आरम्भ हुआ था।
- वर्ष 1946 में इस फिल्म का शीर्ष पुरस्कार, जिसे तब ग्रैंड प्रिक्स डू फेस्टिवल इंटरनेशनल डू फिल्म (Grand Prix du Festival International du Film) कहा जाता था, भारत सहित भाग लेने वाले प्रत्येक देशों की एक फिल्म को प्रदान किया गया था।
- चेतन आनंद की ‘नीचा नगर’ (Neecha Nagar) पुरस्कार जीतने वाली एकमात्र भारतीय फिल्म है, जो भारत में कभी रिलीज़ ही नहीं हुई।
- वर्ष 1955 में, जिस समय तक केवल एक फिल्म को पुरस्कार दिया जा रहा था, उसका नाम बदलकर पाम डी’ओर कर दिया गया और डेलबर्ट मान की मार्टी (Delbert Mann’s Marty) को यह पुरस्कार दिया गया।
- वर्ष 1964 में, इस पुरस्कार का नाम वापस ग्रांड प्रिक्स डू फेस्टिवल इंटरनेशनल डू फिल्म कर दिया गया। वर्ष 1975 में, फिर से एक बार इसे पाम डी’ओर कर दिया गया।
डबल पाम्स” (double Palmes)
- अब तक नौ फिल्म डायरेक्टर्स दो बार पाम डी’ओर (Palme d’Or ) जीता है, जिसे जिसे “डबल पाम्स” (double Palmes) कहा जाता है।
- ये हैं; रूबेन ओस्टलंड (2017 और 2022), फ्रांसिस फोर्ड कोपोला (1974 और 1979), शोई इमामुरा (1983 और 1997), बिले अगस्त (1988 और 1992), अमीर कुस्तुरिका (1985 और 1995), जीन-पियरे और ल्यूक डार्डन (1999 और 2005), माइकल हानेके (2009 और 2012), और केन लोच (2006 और 2016)।
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