देश भर में लगभग 150 ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustards) बचे हैं
भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा किए गए अध्ययनों के अनुसार, देश भर में लगभग 150 ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustards) बचे हैं जिनमें राजस्थान में लगभग 128 पक्षी और गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में प्रत्येक में 10 से कम पक्षी शामिल हैं।
यह जानकारी पर्यावरण, वन एवं जलवायु राज्य मंत्री, श्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में दी। द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची- I में सूचीबद्ध किया गया है, जिससे यह शिकार से उच्चतम कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के महत्वपूर्ण पर्यावासों को उनकी बेहतर सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय उद्यानों/अभयारण्यों के रूप में नामित किया गया है।
- केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस)-वन्यजीव पर्यावास के विकास के घटक ‘प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम’ (Species Recovery Programme) के तहत संरक्षण प्रयासों के लिए प्रजातियों की पहचान की गई है।
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और उसके पर्यावास को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने के लिए वन्यजीव पर्यावास विकास की केंद्र प्रायोजित योजना के तहत राज्य / केंद्र शासित प्रदेश सरकारों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
- राजस्थान के कोटा जिले में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए एक संरक्षण प्रजनन केंद्र की स्थापना के लिए एक साइट की पहचान की गई है।
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को भारत द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव के आधार पर प्रवासी प्रजातियों पर कन्वेंशन (CMS) के परिशिष्ट I में शामिल किया गया है। यह गांधीनगर में आयोजित पक्षकारों के प्रतिष्ठित 13वें CMS सम्मेलन का शुभंकर भी था, जिसने प्रजातियों के संरक्षण के लिए व्यापक प्रचार किया।
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड एक प्रसिद्ध, गंभीर रूप से लुप्तप्राय और संरक्षण पर निर्भर पक्षी प्रजाति है, जो प्रवास के लिए अनेक देशों की सीमाओं को पार करती है। इस कारण पाकिस्तान-भारत और सीमावर्ती क्षेत्र में शिकार और भारत में बिजली-लाइन टकराव जैसी चुनौतियों से इसका प्रवासन प्रभावित होता है।