तमिलनाडु सरकार ने LGBTQIA+ समुदाय को संबोधित करने के लिए आदरसूचक शब्दावली जारी की
तमिलनाडु सरकार ने मद्रास उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार LGBTQIA+ समुदाय के लोगों को संबोधित करने और उनका वर्णन करने के लिए उपयोग की किये जाने वाले शब्दों की शब्दावली (glossary) को गजट में अधिसूचित किया है। राज्य के समाज कल्याण और महिला अधिकारिता विभाग द्वारा जारी शब्दवलियों में queer के लिए paal pudhumaiyar; एक ट्रांसजेंडर के लिए मारुविया पालिनम; इंटरसेक्स के लिए इदप्पल आदि शामिल हैं। सरकार ने यह भी अनिवार्य किया है कि मीडिया सहित सभी प्लेटफार्म अंग्रेजी और तमिल में प्रकाशित शब्दावली के शब्दों का ही उपयोग करें। मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आनंद वेंकटेश ने ऐसा करने का सुझाव दिया था। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में, सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। इसने न केवल धारा 377 के 158 साल पुराने विवादास्पद कानूनी प्रावधान को रद्द कर दिया, बल्कि समलैंगिक सेक्स संबंधों को वैधता भी प्रदान की।
कौन हैं LGBTQIA+ ?
LGBTQIA+ एक समावेशी शब्द है जिसका उपयोग लेस्बियन (lesbian), गे (gay), उभयलिंगी (bisexual), ट्रांसजेंडर ( transgender), क्वीर (queer), इंटरसेक्स (intersex), अलैंगिक (asexual) इत्यादि के लिए किया जाता है।
LGBTQIA+ के लिए भारत में उठाये गए कदम
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, 4,87,803 व्यक्तियों को ‘अन्य’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है जिसमें ट्रांसजेंडर व्यक्ति शामिल हैं।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों की सुरक्षा और उनके कल्याण के लिए “ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019” अधिनियमित किया, और उसी के प्रावधान 10 जनवरी, 2020 को लागू हुए। ट्रांसजेंडर व्यक्ति (संरक्षण) अधिकार) नियम, 2020 को 29 सितंबर, 2020 को भारत के राजपत्र में प्रकाशित किया गया था।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 12.02.2022 को “स्माइल/SMILE – आजीविका और उद्यम के लिए सीमांत व्यक्तियों के लिए समर्थन” (Support for Marginalized Individuals for Livelihood and Enterprise) शुरू की है, जिसमें के उप योजना – ‘ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण के लिए व्यापक पुनर्वास’ शामिल है। इस उप-योजना का फोकस ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के पुनर्वास, चिकित्सा सुविधाओं और हस्तक्षेप, परामर्श, शिक्षा, कौशल विकास, आर्थिक संबंधों पर है।
21 अगस्त, 2020 को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के संबंध में नीतियों, कार्यक्रमों, कानूनों और परियोजनाओं पर सरकार को सलाह देने के लिए नेशनल काउंसिल फॉर ट्रांसजेंडर पर्सन्स ( National Council for Transgender Persons) का गठन किया गया था।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 25 नवंबर, 2020 को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय पोर्टल लॉन्च किया है। कोई भी ट्रांसजेंडर आवेदक यहाँ से पहचान पत्र का प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकता है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने ‘गरिमा गृह’ नाम से 12 पायलट आश्रय गृह शुरू किए हैं: जो ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए आश्रय गृह। इन आश्रय गृहों का मुख्य उद्देश्य जरूरतमंद ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करना है। ये पायलट शेल्टर होम महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और ओडिशा राज्यों में हैं। मंत्रालय ने इन आश्रय गृहों की स्थापना के लिए समुदाय आधारित संगठनों (सीबीओ) को पूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान की है जो भोजन, आश्रय, चिकित्सा देखभाल, मनोरंजन सुविधाएं जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करते हैं और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए क्षमता निर्माण और कौशल विकास कार्यक्रम भी संचालित करते हैं।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने पीएम-दक्ष के माध्यम से स्माइल योजना के ट्रांसजेंडर लाभार्थियों को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करने की योजना बनाई है।
अभी हाल में आयुष्मान भारत- पीएमजेएवाई (Ayushman Bharat-PMJAY) के तहत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को एक समावेशी व समग्र स्वास्थ्य पैकेज प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) व सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। यह देश में अपनी तरह का पहला समझौता है जो Ayushman Bharat-PMJAY के तहत स्वास्थ्य सेवाओं के तहत ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए उचित और सम्मानजनक स्थान सुनिश्चित करने को प्रोत्साहन देगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की “आयुष्मान भारत योजना” के साथ स्माइल योजना (SMILE: Support for Marginalised Individuals for Livelihood and Enterprise) को लिंक करते हुए इस चिकित्सा स्वास्थ्य पैकेज के अंतर्गत ट्रांसजेंडर समाज को एक विशेष “आयुष्मान भारत टीजी प्लस” कार्ड प्रदान किया जा रहा है।