स्टॉक एक्सचेंजों में ‘ट्रेड-प्लस-वन’ (T+1) सेटलमेंट शुरू

भारत में 27 जनवरी से स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध सिक्युरिटीज में ‘ट्रेड-प्लस-वन’ (T+1) सेटलमेंट साइकिल शुरू हो गयी। चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा देश है जहां T+1 सेटलमेंट प्रणाली लागू की गयी है।

क्या है T+1 सेटलमेंट चक्र?

  • T+1 सेटलमेंट चक्र का अर्थ है कि लेन-देन पूरा होने के एक दिन या 24 घंटे के भीतर ट्रेड से संबंधित सेटलमेंट किया जाना चाहिए।
  • T+1 के तहत, यदि किसी व्यक्ति ने सोमवार को शेयर खरीदे, तो उसके डीमैट खाते में मंगलवार को शेयर क्रेडिट (जमा) हो जाएंगे। यह T+2 चक्र से अलग है, जहां सोमवार को ख़रीदे गए शेयर उन्हें बुधवार को सेटलमेंट के माध्यम से प्राप्त होता।
  • 256 लार्ज-कैप और टॉप मिड-कैप स्टॉक, जिनमें निफ्टी और सेंसेक्स स्टॉक शामिल हैं, 27 जनवरी से T+1 सेटलमेंट के तहत आ गए हैं।
  • बता दें कि 2001 तक, शेयर बाजारों में साप्ताहिक निपटान प्रणाली थी। इसके बाद शेयर बाजारों T+3 की एक रोलिंग सेटलमेंट प्रणाली शुरू की गयी, और फिर 2003 में T+2 अपनाया गया। विदेशी निवेशकों के विरोध के बावजूद T+1 को लागू किया जा रहा है। यूएस, यूके और यूरोजोन बाजारों को अभी T+1 प्रणाली में शेयर का लेन-देन होता है।
  • T+1 प्रारूप में, यदि कोई निवेशक शेयर बेचता है, तो उसे एक दिन के भीतर पैसा मिल जाएगा, और खरीदार को उसके डीमैट खाते में भी एक दिन के भीतर शेयर मिल जाएंगे। इससे निवेशकों को T+1 दिन पर जारी होने वाले मार्जिन के साथ समग्र पूंजी आवश्यकताओं को कम करने और शेयरों की बिक्री के 24 घंटे के भीतर बैंक खाते में धन प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी।
  • यह बदलाव ऑपरेशनल दक्षता को बढ़ावा देगा क्योंकि फंड और स्टॉक का आना-जाना तेज होगा।
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