RBI का पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस (Payment Aggregator) क्या है?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 15 फरवरी को 32 मौजूदा पेमेंट एग्रीगेटर्स (Payment Aggregators) को सैद्धांतिक मंजूरी दी, जिससे उन्हें अपना कार्य जारी रखने की अनुमति मिल गयी है।
Amazon (Pay) India Pvt Ltd, Google India Digital Services Pvt Ltd, Reliance Payment Solutions Ltd और Zomato Payments Pvt Ltd उन उल्लेखनीय संस्थाओं में से हैं जिनके नाम RBI द्वारा प्रकाशित सूची में मौजूद हैं।
पेमेंट एग्रीगेटर्स (Payment Aggregators) के बारे में
Payment Aggregators (PA) लाइसेंस, कंपनियों को कस्टमर से पेमेंट स्वीकार करके e-मर्चेंट्स (ऑनलाइन व्यवसाय या ई-कॉमर्स फर्म) के लिए भुगतान सेवाएं प्रदान करने की अनुमति देता है।
इस प्रक्रिया के तहत, पेमेंट एग्रीगेटर्स ई-कॉमर्स वेबसाइट पर कस्टमर से प्राप्त धन को जमा करते हैं और एक निश्चित समय अवधि के बाद उन्हें मर्चेंट्स को ट्रांसफर कर देते हैं।
नागरिकों और मर्चेंट्स के हितों की रक्षा के लिए, RBI ने मार्च 2020 में पेमेंट एग्रीगेटर्स दिशानिर्देश जारी किया था जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया था कि पेमेंट गेटवे को मर्चेंट्स से जुड़ने के लिए और उन्हें डिजिटल पेमेंट एक्सेप्टेंस सोल्युशंस प्रदान करने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होगी।
इसका मतलब यह है कि पेमेंट एग्रीगेटर्स की सीधे RBI द्वारा निगरानी की जाएगी।
RBI के नियमों के अनुसार, एग्रीगेटर ऑथोराइज़ेशन के लिए आवेदन करने वाली कंपनी के पास आवेदन के पहले वर्ष में न्यूनतम नेटवर्थ 15 करोड़ रुपये और दूसरे वर्ष तक कम से कम 25 करोड़ रुपये होना चाहिए।
इसे “उपयुक्त और उचित” मानदंडों को भी पूरा करना चाहिए, और वैश्विक पेमेंट सुरक्षा मानकों के अनुरूप होना चाहिए।