क्या होता है प्रवाल और प्रवाल विरंजन (Coral Bleaching) ?

Image credit: Australian Institute of Marine Science

ग्रेट बैरियर रीफ मरीन अथॉरिटी ने 18 मार्च को कहा कि ऑस्ट्रेलिया का ग्रेट बैरियर रीफ (Great Barrier Reef) समुद्र के उच्च तापमान के कारण व्यापक और गंभीर प्रवाल विरंजन (Coral Bleaching) का सामना कर रहा है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016, 2017 और 2020 में असामान्य रूप से गर्म समुद्र के तापमान के कारण प्रवाल विरंजन से रीफ को काफी नुकसान हुआ है।

  • पिछले ब्लीचिंग ने मूंगा के दो-तिहाई हिस्से को क्षतिग्रस्त कर दिया। पर्यावरण समूह ग्रीनपीस के अनुसार ला नीना मौसम पैटर्न के दौरान प्रवाल विरंजन का सामना करना पड़ा जो कि प्रशांत महासागर के शीतल तापमान से जुड़ा है, यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से प्रवाल की रक्षा करने में ऑस्ट्रेलियाई सरकार की विफलता का प्रमाण था।

क्या होता है प्रवाल (Coral Reef)?

  • प्रवाल (Coral) अकशेरुकी जंतुओं ( invertebrate animals) के विविध समूह हैं। कोरल पॉलीप्स (polyps) छोटे, मुलायम शरीर वाले जीव होते हैं जो जेलीफ़िश और समुद्री एनीमोन से संबंधित होते हैं। वे रंगीन और आकर्षक जानवरों के एक बड़े समूह से संबंधित हैं जिन्हें निडारिया (Cnidaria) कहा जाता है।
  • प्रवाल वास्तव में प्राचीन एवं विशिष्ट साझेदारी है जिसे सिम्बायोसिस कहा जाता है जो महासागरों में जानवर एवं पादप, दोनों जीवन रूपों को प्रभावित करता है। आज हम जिसे प्रवाल कहते हैं वे वास्तव में ‘पॉलीप्स’ (polyps) नामक सैकड़ों एवं हजारों जंतुओं से निर्मित है।
  • कोमल शरीर वाला प्रत्येक पॉलीप चूना पत्थर (कैल्सियम कार्बोनेट) को छिपाये रहता है जो चट्टानों से या फिर किसी अन्य पॉलीप्स की मृत हड्डियों जुड़ा होता है।
  • प्रवाल बिना डंठल का होता है जिसका मतलब होता है कि ये हमेशा महासागरीय फ्लोर से जोड़े रखते हैं। इसका यह भी मतलब होता है कि ये पौधों की तरह जड़ धारण करते हैं। इसके बावजूद इन्हें पौधा नहीं माना जाता बल्कि जीव माना जाता है क्योंकि ये पौधों की तरह अपना भोजन खुद नहीं बनाते।

क्या होता है प्रवाल विरंजन (Coral Bleaching) ?

  • जब कोरल तापमान, प्रकाश, या पोषक तत्वों जैसी स्थितियों में बदलाव से तनावग्रस्त होते हैं, तो वे अपने ऊतकों में रहने वाले सहजीवी शैवाल को बाहर निकाल देते हैं, जिससे वे पूरी तरह से सफेद हो जाते हैं। इसे ही प्रवाल विरंजन या कोरल ब्लीचिंग (Coral Bleaching) कहते हैं।
  • प्रवाल का जूजैंथिली ( zooxanthellae) कहे जाने वाले सूक्ष्मदर्शी शैवाल से सिम्बायोटिक यानी सहजीवी संबंध है जो इनके उत्तकों में निवास करते हैं। ये शैवाल कोरल का प्राथमिक खाद्य स्रोत है और इसे इनका रंग प्रदान करता है।
  • तापमान बढ़ने या प्रदूषण की वजह से जब सिम्बायोटिक संबंध तनावग्रस्त हो जाता है तब शैवाल, कोरल की उत्तक को छोड़ देता है।
  • शैवाल के बिना प्रवाल खाद्य का अपना मुख्य स्रोत खो देता है और फिर सफेद हो जाता है या अत्यंत पीला हो जाता है और फिर रोग से ग्रस्त हो जाने की आशंका बढ़ जाती है।

प्रवाल विरंजन (Coral Bleaching) के कारण

  • गर्म पानी के तापमान के परिणामस्वरूप प्रवाल विरंजन हो सकता है। जब पानी बहुत गर्म होता है, तो मूंगे अपने ऊतकों में रहने वाले शैवाल (zooxanthellae) को बाहर निकाल देते हैं, जिससे मूंगा पूरी तरह से सफेद हो जाएगा। इसे प्रवाल विरंजन या कोरल ब्लीचिंग कहा जाता है।
  • जब एक कोरल ब्लीचिंग होता है, तो वह मर नहीं जाता है। प्रवाल किसी विरंजन घटना से बच सकते हैं, लेकिन वे अधिक तनाव में होते हैं और उनकी मृत्यु हो सकती है।
  • कोरल ब्लीचिंग ठंडा पानी की वजह से भी होती है। जनवरी 2010 में, फ़्लोरिडा कीज़ में ठंडे पानी के तापमान ने एक प्रवाल विरंजन घटना का कारण बना जिसके परिणामस्वरूप कुछ प्रवाल की मृत्यु हो गई। पानी का तापमान -6.7 डिग्री सेल्सियस 12.06 डिग्री फ़ारेनहाइट गिर गया, जो वर्ष के इस समय में सामान्य तापमान से कम था।
  • समुद्र के तापमान में परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के तापमान में वृद्धि प्रवाल विरंजन का प्रमुख कारण है।
  • अपवाह और प्रदूषण: तूफान से उत्पन्न वर्षा तेजी से समुद्र के पानी को पतला कर सकती है और अपवाह प्रदूषकों को ले जा सकता है. ये निकट-किनारे के कोरल को ब्लीच कर सकते हैं।
  • सूर्य के प्रकाश का अत्यधिक संपर्क: जब तापमान अधिक होता है, तो उच्च सौर विकिरण उथले-पानी के कोरल में विरंजन में योगदान देता है।
  • अत्यधिक निम्न ज्वार: अत्यधिक निम्न ज्वार के दौरान हवा के संपर्क में आने से उथले मूंगों में विरंजन हो सकता है।

ग्रेट बैरियर रीफ

  • आस्टेंलिया में क्वींसलैंड मुख्यभूमि से सटे समुद में विश्व का सबसे बड़ा प्रवाल भित्ति स्थित है जिसे ग्रेट बैरियर रीफ (Great Barrier Reef) भी कहा जाता है। यहां 400 प्रकार के प्रवाल, 1500 मछली प्रजातियां तथा 4000 प्रकार के सीप पायी जाती हैं।
  • इसे वर्ष 1981 में यूनेस्को विश्व विरासत का दर्जा प्रदान किया गया था। हाल के वर्षों में यह कोरल ब्लीचिंग की वजह से चर्चा में है। वर्ष 2020 में विगत पांच वर्षों में ग्रेट बैरियर रीफ को तीसरी बार व्यापक विरंजन का सामना करना पड़ा।
  • ट्रॉपिकल कोरल रीफ वैश्विक उष्मन यानी ग्लोबल हीटिंग के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र अंतर-सरकारी कार्यदल (आईपीसीसी) के मुताबिक वैश्विक तापमान में 1-5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से 70 से 90 प्रतिशत कोरल रीफ मर जाएंगे।

क्या होती है क्लाउड ब्राइटनिंग?

  • इसे मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग भी कहा जाता है। प्राकृतिक प्रक्रिया की नकल (समुद्री स्प्रे के एरोसोल की उत्पति) के माध्यम से बादल की चमक को बढ़ाने की डिजाइन को क्लाउड ब्राइटनिंग कहा जाता है।
  • कुछ विशेषज्ञों की नजर में यह जलवायु नियंत्रण समाधान उपलब्ध कराता है। क्लाउड ब्राइटनिंग के द्वारा बादलों की चमक बढ़ाकर सूर्य की रोशनी को परावर्तित किया जाता है यानी इसे वापस कर दिया जाता है ताकि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कुछ हद तक कम किया जा सके। इस लक्ष्य को प्राप्त करने का सबसे आम प्रस्ताव प्राकृतिक तौर पर उत्पन्न होने वाले समुद्री लावण को बादलों में स्प्रे करना है।
  • आस्टेंलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय तथा सिडनी इंस्टीट्यूट ऑफ मरीन साइंस के वैज्ञानिकों ने आस्टेंलिया में स्थित ग्रेट बैरियर रीफ यानी महान प्रवाल भित्ति को हो रहे नुकसान से बचाने के लिए मार्च 2020 में क्लाउड ब्राइटनिंग तकनीक (cloud brightening) का आरंभिक परीक्षण किया था जिसमें उन्हें सफलता भी प्राप्त हुई थी। चूंकि गर्म पानी की वजह से कोरल को नुकसान हो रहा था इसलिए क्लाउड ब्राइटनिंग के जरिये कोरल के आसपास के पानी को ठंडा रखने का प्रयास किया गया।
  • परीक्षण के तहत ग्रेट बैरियर रीफ के ऊपर प्रोटोटाइप क्लाउड ब्राइटनिंग उपकरण स्थापित किया गया था ताकि प्रवाल रीफ के ऊपर छाया सृजित कर प्रवाल को ठंडा रखा जा सके। इससे वैश्विक तापमान में वृद्धि होने की वजह से विरंजन की प्रक्रिया पर विराम लगाया जा सके।
  • प्रक्रिया के तहत स्प्रे हेतु 100 उच्च दबाव वाली नोक (नोजल्स) युक्त मोडिफायड टर्बाइन का इस्तेमाल किया गया जिससे हवा में नैनो आकार के महासागरीय लवण क्रिस्टल छोड़े गये। सैद्धांतिक तौर पर, लघु लवणीय क्रिस्टल निम्न ऊंचाई पर स्थित बादलों में मिश्रित हो जाते हैं जो इसे चमकीला बना देता है और इस तरह महासागरीय तल से सूर्य प्रकाश को दूर कर दिया जाता है।
  • हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि इस परीक्षण का उद्देश्य क्लाउड ब्राइटनिंग की प्रभावित का पता करना नहीं था वरन् डेलिवरी प्रणाली काम करती है या नहीं, उसे पता करना था, और इसमें उन्हें सफलता प्राप्त हुयी थी। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि इस सफलता के पश्चात भी इस सि1⁄4ांत को सत्यापित करने के लिए चार और वर्षों की शोध की जरूरत पड़ेगी।

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