प्रोटॉन बीम थेरेपी

हाल की एक रिपोर्ट के अनवर प्रोटॉन बीम थेरेपी (proton beam therapy: PBT) के मामले में भारत में कैंसर रोगियों को दोहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है: PBT उपचार वाले पर्याप्त केंद्र नहीं हैं, और इस उपचार में लागत लाखों रुपये में हो सकती है।

  • PBT को ठोस ट्यूमर, विशेष रूप से सिर और गर्दन के कैंसर के इलाज के लिए रेडिएशन का एक व्यावहारिक विकल्प माना जाता है।

प्रोटॉन बीम थेरेपी

  • प्रोटॉन थेरेपी, जिसे प्रोटॉन बीम थेरेपी भी कहा जाता है, एक प्रकार की रेडिएशन चिकित्सा है। यह कैंसर के इलाज के लिए एक्स-रे के बजाय प्रोटॉन का उपयोग करता है। प्रोटॉन एक धन आवेशित कण (positively charged particle) है।
  • उच्च ऊर्जा पर, प्रोटॉन कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर सकते हैं। एक्स-रे विकिरण की तरह, प्रोटॉन थेरेपी एक प्रकार की बाहरी-किरण विकिरण चिकित्सा है।
  • यह शरीर के बाहर एक मशीन से त्वचा के माध्यम से रेडिएशन को दर्द रहित तरीके से वितरित करता है। जहां विकिरण पूरे शरीर के लिए विषाक्त साबित हो सकता है, वहीं प्रोटॉन, ट्यूमर को लक्षित करके ठीक से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर सकते हैं, इस प्रकार आस-पास के अंगों को बचा सकते हैं।
  • अपोलो अस्पताल पूरे दक्षिण और पश्चिम एशिया में पीबीटी की सुविधा वाला एकमात्र केंद्र है। भारत सरकार ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (झज्जर) में PBT यूनिट स्थापित करने की योजना बनायी थी लेकिन यह ठंडे बस्ते में चली गयी है।
  • वर्तमान में अमेरिका में 42 PBT मशीन केंद्र हैं, इसके बाद यूरोप (35), जापान (26), चीन (सात), ताइवान (तीन) और दक्षिण कोरिया (दो) में हैं, जबकि भारत में केवल एक है।
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