इसरो भविष्य में सिविलियन नेविगेशनल उपयोग के लिए L1 बैंड वाले उपग्रह प्रक्षेपित करेगा

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लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत की नौवहन उपग्रह प्रणाली NavIC की सार्वजनिक वाहन सुरक्षा, पावर ग्रिड सिंक्रोनाइज़ेशन, रीयल-टाइम ट्रेन सूचना प्रणाली, मछुआरों का मार्गदर्शन, सुरक्षा, आदि जैसी राष्ट्रीय परियोजनाओं में उपयोगिता साबित हुई है।

  • उन्होंने यह भी कहा कॉमन अलर्ट प्रोटोकॉल-आधारित आपातकालीन चेतावनी, समय वितरण, जियोडेटिक नेटवर्क, मानव रहित हवाई यान आदि NavIC प्रणाली को अपनाने की प्रक्रिया में हैं।
  • उन्होंने यह भी बताया कि NavIC का वर्तमान संस्करण L5 और S बैंड के अनुकूल है। यह अंतरराष्ट्रीय फ्रीक्वेंसी समन्वय और अनुकूलता के अनुसार है।
  • वर्तमान संस्करण सिविलियन क्षेत्र में प्रवेश करने में सक्षम है। L1 बैंड में सिग्नल जोड़ने से सिविलियन क्षेत्र में तेजी से पैठ बनाने में मदद मिलेगी।

L1, L5 और S बैंड्स

  • सिविलियन नेविगेशनल उपयोग के लिए इसरो भविष्य में L1 बैंड वाला उपग्रह परिक्षण करेगा और इसकी शुरुआत NVS-01 से होगी।
  • L1 सबसे पुराना और सुस्थापित GPS सिग्नल है, जिसे स्मार्टवॉच जैसे कम परिष्कृत, सिविलियन-उपयोग वाले उपकरण भी प्राप्त करने में सक्षम हैं। इस प्रकार, इस बैंड के साथ सिविलियन उपयोग के उपकरणों में NavIC का उपयोग बढ़ सकता है।
  • L1 सिग्नल 1575.42 मेगाहर्ट्ज आवृत्ति का उपयोग करता है। चूँकि L1 सबसे पुराना और सबसे स्थापित सिग्नल है, यहाँ तक कि सबसे सस्ती GPS इकाइयाँ भी इसे प्राप्त करने में सक्षम हैं। हालाँकि, इसकी आवृत्ति अपेक्षाकृत धीमी होने के कारण बाधकों से गुजरने पर यह बहुत प्रभावी नहीं है।
  • L5 तीसरा GPS सिग्नल है, जो 1176 मेगाहर्ट्ज पर काम कर रहा है। यह अभी तक का सबसे एडवांस्ड GNSS सिग्नल है। इसका उपयोग सुरक्षित परिवहन और अन्य मांग वाले एप्लिकेशन जैसे कि विमानन के लिए किया जाएगा।
  • S-बैंड (2-4 गीगाहर्ट्ज) मौसम रडार, सतह जहाज रडार और कुछ संचार उपग्रहों के लिए उपयोगी है।
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