युगांडा में इबोला वायरस के प्रकोप के अंत की घोषणा
युगांडा ने 11 जनवरी 2023 को सूडान इबोलावायरस के कारण होने वाले इबोला रोग के प्रकोप की समाप्ति की घोषणा की है। विश्व स्वस्थ्य संगठन ने भी इसकी पुष्टि की है।
20 सितंबर 2022 को युगांडा के केंद्रीय मुबेंडे जिले में पहले मामले की पुष्टि होने के चार महीने से भी कम समय बाद प्रकोप की समाप्ति की घोषणा की गयी है।
सूडान इबोलावायरस इबोला वायरस की छह प्रजातियों में से एक है जिनके खिलाफ अभी तक कोई उपचार और टीके को मंजूरी नहीं मिली है।
इबोला वायरस रोग (Ebola virus disease: EVD)
इबोला वायरस रोग (Ebola virus disease: EVD), जिसे पहले इबोला रक्तस्रावी बुखार (Ebola haemorrhagic fever) के रूप में जाना जाता था, एक गंभीर, अक्सर घातक बीमारी है जो मनुष्यों और अन्य प्राइमेट्स को प्रभावित करती है।
यह वायरस जंगली जानवरों (जैसे फ्रूट चमगादड़, पोर्क्युपाईन और गैर-मानव प्राइमेट) से लोगों में फैलता है और फिर संक्रमित लोगों के रक्त, स्राव, अंगों या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों और इन तरल पदार्थों से दूषित सतहों तथा सामग्री (जैसे बिस्तर, कपड़े) के साथ सीधे संपर्क के माध्यम से मानव आबादी में फैलता है।
इबोला वायरस रोग पहली बार 1976 में एक साथ 2 प्रकोपों में दर्ज किया गया- नज़ारा (Nzara), जो अब दक्षिण सूडान में है, और दूसरा यमबुकु (डेमोक्रेटिक रिपब्लिक कांगो) में है।
डेमोक्रेटिक रिपब्लिक कांगो में इबोला नदी के पास एक गाँव में इसका प्रकोप देखा गया था, जहाँ से इस बीमारी का नाम पड़ा।
1976 में पहली बार वायरस की खोज के बाद से पश्चिम अफ्रीका में 2014-2016 का प्रकोप सबसे बड़ा और सबसे जटिल इबोला प्रकोप था।
ऐसा माना जाता है कि टेरोपोडिडे परिवार के फ्रूट चमगादड़ (fruit bats of the Pteropodidae family) प्राकृतिक इबोला वायरस मेजबान (होस्ट) हैं।