Organ transplantation: 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को मृत दाताओं से प्रत्यारोपण के लिए अंग प्राप्त करने की अनुमति

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 16 फरवरी को राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण दिशानिर्देशों (National organ transplantation guidelines) को संशोधित किया है, ताकि 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को भी मृत दाताओं से प्रत्यारोपण के लिए अंग प्राप्त करने के लिए पंजीकरण करने की अनुमति मिल सके।

  • इसके लिए सरकार ने नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (NOTTO) के दिशा-निर्देशों में एक क्लॉज को हटाने का फैसला किया है क्योंकि यह क्लॉज जीवन के अधिकार का उल्लंघन करता है।
  • इसके अलावा, पहले एक अंग प्राप्तकर्ता को डोमिसाइल राज्य में ही प्रत्यारोपण के लिए पंजीकरण कराना पड़ता था। अब भारत सरकार ने डोमिसाइल नीति को समाप्त करने का निर्णय लिया है और सभी राज्यों को इस निर्णय के बारे में सूचित कर दिया गया है। अर्थात यदि मरीज किसी भी राज्य में रह रहा हो, अंग प्रत्यारोपण के लिए किसी अन्य राज्य में पंजीकरण कर सकता है।
  • पंजीकरण करने पर रोगी को NOTTO द्वारा एक विशिष्ट ID आवंटित की जाएगी जिसे रोगी द्वारा विभिन्न राज्यों के कई अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण के लिए जाने की अनुमति देगी।
  • केरल और महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्य अंग प्रत्यारोपण रोगियों के पंजीकरण के लिए ₹5,000 से ₹10,000 तक शुल्क ले रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को सूचित किया है कि वे मरीजों से पंजीकरण शुल्क लेना बंद करें।
  • स्वास्थ्य मंत्रालय अंग दान और प्रत्यारोपण के लिए ‘वन नेशन वन पॉलिसी’ तैयार कर रहा है।

अंग प्रत्यारोपण की संख्या

  • स्वास्थ्य मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, अंग प्रत्यारोपण की संख्या 2013 में 4,990 से तीन गुना बढ़कर 2022 में 15,561 हो गई है।
  • 15,561 प्रत्यारोपणों में से अधिकांश – 12,791 (82%) – जीवित दाताओं से हैं और 2,765 ( 18%) मृत लोगों से हैं। 15,561 अंग प्रत्यारोपणों में से 11,423 किडनी के लिए हैं, इसके बाद लिवर (766), हृदय (250), फेफड़े (138), अग्न्याशय (24) और छोटी आंत्र प्रत्यारोपण (3) हैं।

भारत में अंगदान

  • बता दें कि भारत में दान किए जा सकने वाले अंग हैं: लीवर, किडनी, अग्न्याशय, हृदय, फेफड़े, आंत।
  • इस तरह जिन ऊतकों (Tissues) का दान किया जा सकता है वे हैं: कॉर्निया, हड्डी, त्वचा, हृदय वाल्व, रक्त वाहिकाएं, तंत्रिकाएं, टेंडन आदि।
  • अंगदान दो प्रकार के होते हैं:- i) जीवित दाता अंग दान: एक व्यक्ति अपने जीवन के दौरान एक किडनी दान कर सकता है (दूसरा गुर्दा दाता के लिए पर्याप्त रूप से शरीर के कार्यों को बनाए रखने में सक्षम है), अग्न्याशय/पैंक्रियास का एक हिस्सा (अग्न्याशय का आधा हिस्सा अग्न्याशय के कार्यों को बनाए रखने के लिए पर्याप्त है) और लिवर का एक हिस्सा (प्राप्तकर्ता और दाता, दोनों में लिवर के सेगमेंट कुछ समय के बाद पुन: उत्पन्न होंगे)।
  • ii) मृत दाता अंग दान: एक व्यक्ति (मस्तिष्क-स्टेम/कार्डियक) मृत्यु के बाद कई अंग और ऊतक दान कर सकता है। उसका/उसकी अंग दूसरे व्यक्ति के शरीर में काम करना जारी रखता है।
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