Cumbum Panneer Thratchai: तमिलनाडु के लोकप्रिय मस्कट हैम्बर्ग अंगूर किस्म को मिला GI टैग
तमिलनाडु के कंबम पनीर थ्रैचाई अंगूर (Cumbum Panneer Thratchai) को हाल ही में भौगोलिक संकेतक टैग या जीआई टैग (GI tag) दिया गया है। तमिलनाडु में पश्चिमी घाट पर स्थित कंबम घाटी को ‘दक्षिण भारत के अंगूर शहर’ (Grapes city of South India) के रूप में जाना जाता है और पनीर थ्रैचाई की खेती की जाती है।
यह किस्म जिसे मस्कट हैम्बर्ग (Muscat Hamburg) के नाम से भी जाना जाता है। तमिलनाडु में लगभग 85% अंगूर उगाने वाले क्षेत्रों इसी का उत्पादन किया जाता है।
थेनी जिला पन्नीर थराचाई के उच्चतम अंगूर उत्पादक क्षेत्रों में से एक है। हालांकि, ‘पनीर’ किस्म मुख्य रूप से कंबम घाटी से जुड़ी है, जहाँ खेती का क्षेत्र 10 गाँवों में लगभग 2,000 एकड़ में फैला हुआ है।
कंबम क्षेत्र की कृषि जलवायु और मृदा की स्थिति मस्कट किस्म की खेती के लिए बहुत अनुकूल है। यह किस्म अपनी त्वरित वृद्धि और शीघ्र पकने के लिए लोकप्रिय है। यह सुनिश्चित करता है कि फसल लगभग पूरे वर्ष बाजार में उपलब्ध रहे।
कहा जाता है कि इस भूमि की समृद्ध मृदा और जल इस प्राकृतिक फल के स्वाद को बढ़ाते हैं। पनीर अंगूर पहली बार 1832 में एक फ्रांसीसी द्वारा तमिलनाडु लाया गया था।
ये अंगूर विटामिन, टार्टरिक एसिड और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं और कुछ पुरानी बीमारियों के खतरे को कम करते हैं। ये बैंगनी-भूरे रंग के अलावा बेहतर स्वाद के लिए भी जाने जाते हैं।