विवाहित की तरह अविवाहित महिलाएं भी सुरक्षित और कानूनी गर्भपात की हकदार हैं-सुप्रीम कोर्ट
गर्भपात के मामले में विवाहित और अविवाहित के बीच के भेद को समाप्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 29 सितंबर को निर्णय दिया कि सभी महिलाएं, चाहे विवाहित हों या अविवाहित, सुरक्षित और कानूनी गर्भपात की हकदार हैं।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
कोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी नियम-3B का भी विस्तार कर दिया है। 20 सप्ताह से अधिक और 24 हफ्ते से कम के भ्रूण के गर्भपात का अधिकार अब तक सिर्फ विवाहित महिलाओं को था, सुप्रीम कोर्ट ने इसे समानता के अधिकार के खिलाफ माना और इसमें संशोधन करते हुए कहा कि विवाहित महिला की तरह अविवाहित महिला को भी अवांछित गर्भावस्था को समाप्त कराने का अधिकार है, चाहे वह सहमति से संबंध स्थापित करने के बाद गर्भ धारण क्यों न की हो।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि एक अविवाहित महिला को अनचाहे गर्भ को बनाये रखने के लिए मजबूर करना मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) अधिनियम के उद्देश्य और भावना के प्रतिकूल है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वर्ष 2021 के संशोधन के जरिये मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट की धारा-3 में पति के बजाय पार्टनर शब्द जोड़ा गया है। इसका मतलब यह है कि विधि निर्माता भी इस एक्ट के जरिये अविवाहित महिलाओं को भी गर्भपात कराने का अधिकार देने की अप्रत्यक्ष मंशा रखते हैं।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा कि किसी महिला को 20 हफ्ते के ज्यादा के गर्भ को गिराने से मना इस आधार पर करना कि वह अविवाहित है, संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने एम्स निदेशक को एक मेडिकल बोर्ड गठित करने के लिए कहा जो यह देखेगा कि गर्भपात से महिला के जीवन को कोई खतरा तो नहीं है।
न्यायालय ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट से अविवाहित महिलाओं को लिव-इन रिलेशनशिप से बाहर करना असंवैधानिक है। इस तरह से अविवाहित महिलाओं के बीच भेदभाव नहीं किया जा सकता।
विवाहित बलात्कार (marital rape)
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर बिना मर्जी के कोई विवाहित महिला गर्भवती होती है, तो इसे मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत बलात्कार माना जाना चाहिए और उसे गर्भपात कराने का अधिकार होगा। हालांकि यह व्यवस्था भारतीय दंड संहिता के तहत विवाहित बलात्कार (marital rape) के अपवाद को समाप्त नहीं करता।
क्या था मामला?
एक महिला ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 2003 के नियम-3B को चुनौती दी थी, जो कि केवल कुछ श्रेणियों की महिलाओं को 20 से 24 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति देता है।
उल्लेखनीय है कि 16 जुलाई, 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 सप्ताह के गर्भ की समाप्ति करने की मांग वाली एक अविवाहित महिला की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
उस समय हाईकोर्ट ने कहा था कि गर्भ सहमति से धारण किया गया है और यह मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी रूल्स, 2003 के तहत किसी भी खंड में शामिल नहीं है।
महिला ने अपनी याचिका में कहा था कि वह बच्चे को जन्म नहीं दे सकती क्योंकि वह एक अविवाहित महिला है और उसके साथी ने उससे विवाह करने से मना कर दिया है। उसने तर्क दिया था कि अविवाहित होने की वजह से बच्चे को जन्म देने से समाज में उसका बहिष्कार किया जायेगा और मानसिक पीड़ा से भी गुजरना होगा। दिल्ली हाईकोर्ट के इसी निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनोती दी गयी थी।
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 क्या है?
गर्भ की चिकित्सकीय समाप्ति कानून यानी मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (Medical Termination of Pregnancy (MTP) Act, 1971) चिकित्सक की निगरानी में दो चरणों (20 सप्ताह तक और 2 20-24 सप्ताह) में गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देता है।
20 सप्ताह तक के गर्भ की समाप्ति
वर्ष 2021 में एक महत्वपूर्ण संशोधन के बाद, एक पंजीकृत चिकित्सक की राय के तहत 20 सप्ताह तक के गर्भधारण की समाप्ति की अनुमति है।
20 सप्ताह के भीतर गर्भधारण के लिए, समाप्ति की अनुमति दी जा सकती है यदि:
A) गर्भावस्था को जारी रखने से गर्भवती महिला के जीवन को खतरा होगा या उसके शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर चोट लग सकती है; या
B) इस बात का पर्याप्त जोखिम है कि यदि बच्चा पैदा होता है, तो वह किसी भी गंभीर शारीरिक या मानसिक विकार से पीड़ित होगा।
2021 में एक्ट की धारा 3B में संशोधन के द्वारा “विवाहित महिला या उसके पति” के स्थान पर “किसी भी महिला या उसके साथी” किया गया है। इसके पीछे कानून निर्माताओं का इरादा इसके दायरे को स्पष्ट करना और विवाह संस्था के बाहर के गर्भधारण को कानून की सुरक्षात्मक छतरी के भीतर लाना है।
20-24 सप्ताह के बीच के गर्भ की समाप्ति
20-24 सप्ताह के बीच के गर्भ की समाप्ति के लिए, कुछ मानदंड निर्धारित किये गए हैं कि कौन सी महिलाएं इस प्रावधान का लाभ उठा सकती हैं।
20-24 सप्ताह के बीच के गर्भ की समाप्ति के लिए दो पंजीकृत चिकित्सकों की राय भी आवश्यक है।
गर्भपात के दोनों दोनों चरणों- 20 सप्ताह के भीतर और 20-24 सप्ताह के बीच के तहत ऐसे गर्भ की समाप्ति की अनुमति है जहां गर्भधारण की वजह बलात्कार है।
MTPअधिनियम की धारा 3B के तहत निम्नलिखित सात श्रेणियों की महिलाओं के 20-24 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति दी गयी है:
(1) यौन उत्पीड़न या बलात्कार या अनाचार से बची महिलाएं ;
(2) नाबालिग;
(3) गर्भावस्था के दौरान वैवाहिक स्थिति में परिवर्तन (विधवा हो जाना या तलाक हो जाना);
(4) शारीरिक रूप से दिव्यांग महिलाएं
(5) मानसिक मंदता सहित मानसिक रूप से बीमार महिलाएं;
(6) भ्रूण की विकृति जिसमें जीवन के साथ असंगत होने का पर्याप्त जोखिम है या यदि बच्चा पैदा होता है तो वह ऐसी शारीरिक या मानसिक असामान्यताओं से गंभीर रूप से विकलांग हो सकता है; और
(7) मानवीय सेटिंग्स या सरकार द्वारा घोषित आपदा या आपातकालीन स्थितियों में गर्भ धारण करने वाली महिलाएं।