भारत के पहले ‘नेशनल सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर ग्रीन पोर्ट एंड शिपिंग’ (NCoEGPS) की घोषणा
केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री (MoPSW) श्री सर्बानंद सोनोवाल ने हरित पत्तन और पोत परिवहन के लिए भारत के पहले राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (National Centre of Excellence for Green Port & Shipping: NCoEGPS) की घोषणा की।
केंद्रीय मंत्री ने मुंबई में आयोजित “इनमार्को 2022” (INMARCO) में इसकी घोषणा की।
NCoEGPS : प्रमुख उद्देश्य
प्रस्तावित NCoEGPS का प्रमुख उद्देश्य भारत में पोत परिवहन क्षेत्र के लिए हरित वैकल्पिक प्रौद्योगिकियों के रोड मैप का नीति और नियामक रूपरेखा विकसित करना और उसे दीर्घकालिक रूप से बनाए रखने में MoPSW को सहायता प्रदान करना है।
NCoEGPS पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के समर्थन से पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग और अन्य संस्थानों के लिए हरित पोत परिवहन क्षेत्रों पर नीति, अनुसंधान और सहयोग के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करने हेतु एमओपीएसडब्ल्यू की एक तकनीकी शाखा के रूप में कार्य करेगा।
यह केंद्र पोत और पोत परिवहन क्षेत्र का समर्थन करने के लिए कई तकनीकी उपायों का उपयोग करेगा और वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से उद्योग में आने वाली विभिन्न समस्याओं का समाधान करेगा।
यह स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समुद्री परिवहन में मूल्यवान शिक्षा, अनुप्रयुक्त अनुसंधान और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण भी करेगा।
हरित पत्तन और पोत परिवहन की दिशा में प्रमुख पहल
भारत अपने सभी प्रमुख बंदरगाहों में बिजली की कुल मांग में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी, जो कि वर्तमान में 10 प्रतिशत से भी कम है, को बढ़ाकर 60 प्रतिशत करने की इच्छा रखता है, जिसे सौर और पवन ऊर्जा द्वारा उत्पन्न बिजली के माध्यम से पूरा किया जाएगा।
बंदरगाहों ने 2030 तक प्रति टन कार्गो कार्बन उत्सर्जन में 30% तक कमी लाने का भी लक्ष्य निर्धारित किया है।
‘मैरीटाइम विजन डॉक्यूमेंट 2030’ एक सतत समुद्री क्षेत्र और जीवंत ब्लू इकोनॉमी वाले भारतीय दृष्टिकोण पर 10 वर्ष का खाका है।
हरित पोत परिवहन से संबंधित एक पायलट परियोजना का संचालन करने के लिए IMO Green Voyage 2050 परियोजना के अंतर्गत भारत का चुनाव पहले देश के रूप में किया गया है।
भारत IMO ग्रीन हाउस गैस में कमी लाने वाले लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता करने के लिए अपने सभी मौजूदा तटीय और अंतर्राष्ट्रीय जहाजों पर IMO ऊर्जा दक्षता और कार्बन गहनता आवश्यकताओं को लागू करेगा।
भारत पहले से ही 150 किलोवाट से कम विद्युत की खपत करने वाले जहाजों को तटीय विद्युत की आपूर्ति कर रहा है और आने वाले सभी जहाजों को तटीय विद्युत आपूर्ति करने का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है।