Sagar Parikrama Phase-III: हजीरा बंदरगाह से सागर परिक्रमा चरण- III यात्रा लॉन्च
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने गुजरात के सूरत के हजीरा बंदरगाह से सागर परिक्रमा चरण- III यात्रा को लॉन्च किया। तीसरे चरण की ‘सागर परिक्रमा’ की शुरुआत 19 फरवरी, 2023 को हजीरा बंदरगाह, सूरत, में शुरू हुई जिसके बाद वह महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्र की ओर बढ़ेगी और 20-21 फरवरी, 2023 में उत्तरी महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों सतपति, वसई, वर्सोवा, सैसन डॉक और मुंबई के अन्य क्षेत्रों को कवर करेगी।
- महाराष्ट्र की समुद्री तटरेखा 720 किलोमीटर है, जिसमें पांच तटीय जिले ठाणे, रायगढ़, ग्रेटर मुंबई, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग शामिल हैं।
सागर परिक्रमा का उद्देश्य
- सागर परिक्रमा का उद्देश्य मछुआरों और अन्य हितधारकों के मुद्दे का समाधान करना और भारत सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्न मत्स्यपालन योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से उनके आर्थिक उत्थान को सुनिश्चित करना है।
- कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के जीवन गुणवत्ता और आर्थिक विकास में सुधार लाना और ज्यादा से ज्यादा आजीविका उत्पन्न करना है। इस यात्रा में पूरे देश के राज्य मत्स्य अधिकारी, मछुआरों के प्रतिनिधि, मत्स्य किसान, उद्यमी, हितधारक, पेशेवर, अधिकारी और वैज्ञानिक शामिल होंगे।
- ‘सागर परिक्रमा’ एक विकासवादी यात्रा है, जिसकी परिकल्पना भारत के समुद्री तटीय क्षेत्र के लिए की गई है, जिसका उद्देश्य देश के सभी मछुआरों, मत्स्य किसानों और संबंधित हितधारकों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए 75वें वर्ष में आजादी का अमृत महोत्सव की भावना के रूप में की गई है, जिसमें हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों, नाविकों और मछुआरों का अभिवादन किया गया है।
- यह भारत सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य मछुआरों और अन्य हितधारकों के मुद्दों को संबोधित करना और उनको भारत सरकार द्वारा PMMSY (प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना) जैसी कार्यान्वित की जा रही विभिन्न मत्स्यपालन योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से आर्थिक विकास की सुविधा प्रदान करना है।
“सागर परिक्रमा” यात्रा की शुरुआत
- “सागर परिक्रमा” यात्रा की शुरुआत 05 मार्च 2022 को मांडवी, गुजरात (श्यामजी कृष्ण वर्मा का स्मारक) से ओखा-द्वारका तक चरण-1 के रूप में “क्रांति से शांति” वाली थीम के साथ शुरू की गई और 06 मार्च 2022 को पोरबंदर में तीन स्थानों को शामिल करते हुए संपन्न हुई।
- इस यात्रा का दूसरा चरण 23 से 25 सितंबर 2022 तक जारी रहा। इस कार्यक्रम में मांगरोल, वेरावल, दीव, जाफराबाद, सूरत, दमन और वलसाड जैसे सात स्थानों को कवर किया गया और कार्यक्रम के दौरान मछुआरों से तटीय मछुआरों की समस्याओं को जानने और आईएफबी और आईसीजी जहाज में यात्रा करने के दौरान आने वाली समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए उनसे बातचीत की गई।
भारत-मत्स्य उत्पादन
- हमारे देश की समुद्री तटरेखा 8,118 किमी है, जिसमें 09 समुद्री राज्य और 04 केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं और इसके माध्यम से 2.8 मिलियन तटीय मछुआरों को आजीविका सहायता प्राप्त होता है।
- भारत वैश्विक रूप से मत्स्य उत्पादन का 8 प्रतिशत का योगदान देता है और यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है।
- देश में मछली का कुल उत्पादन 162.48 लाख टन है, जिसमें से 121.21 लाख टन अंतर्देशीय और 41.27 लाख टन समुद्री है।
- देश में मत्स्य निर्यात कुल मूल्य 57,586.48 करोड़ रुपये है। यह क्षेत्र जीवीए में एक स्थिर वृद्धि दर दर्शाता है, जो कि कृषि जीडीपी का 6.72 प्रतिशत है और यह कृषि निर्यात में लगभग 17 प्रतिशत का योगदान देता है।