पहली बार रोल्स-रॉयस ने ग्रीन हाइड्रोजन पर विमान इंजन चलाया
ब्रिटेन के रोल्स-रॉयस (Rolls-Royce) ने कहा है कि उसने हाइड्रोजन ऊर्जा पर एक विमान का इंजन चलाया है। कम्पनी ने यह भी कहा है कि पहली बार किसी विमान के इंजन को हाइड्रोजन ऊर्जा पर चलाया गया है, जो हवाई यात्रा को डीकार्बोनाइज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
परिवर्तित रोल्स-रॉयस एई 2100-A रीजनल विमान इंजन का उपयोग करते हुए जमीनी परीक्षण किया गया और ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए पवन और ज्वारीय शक्ति का उपयोग किया गया।
बता दें कि हाइड्रोजन कई प्रतिस्पर्धी प्रौद्योगिकियों में से एक है जो विमानन उद्योग को 2050 तक नेट जीरो उत्सर्जन के उनके लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद कर सकती है। वैसे यह एक बड़ी उपलब्धि है लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक विमानन में ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल इतना आसान भी नहीं है।
हाइड्रोजन दहन पर केवल जल उत्पन्न होता है जो पर्यावरण अनुकूल है परन्तु हाइड्रोजन ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल संसाधन से यह स्पष्ट होता है कि हाइड्रोजन ग्रीन है या नहीं।
चिंताएं
कई विश्लेषकों को इस बात पर गंभीर संदेह है कि हाइड्रोजन का इस्तेमाल कभी भी लंबी यात्राओं के लिए व्यवहार्य हो सकता है।
एक गणना के अनुसार, एक बोइंग 747 जंबो जेट को 250,000 लीटर जेट ईंधन के बराबर रेंज देने के लिए 10 लाख लीटर से अधिक हाइड्रोजन की आवश्यकता होगी।
उस आकार के ईंधन टैंक – जिसे उच्च दबाव पर भी रखना होगा – के लिए विमान को नए तरीके से डिज़ाइन करने की आवश्यकता होगी।
ब्लू हाइड्रोजन, ग्रे हाइड्रोजन और ग्रीन हाइड्रोजन
हाइड्रोजन उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल संसाधन के आधार पर इसे अलग-अलग रंग का हाइड्रोजन नाम दिया गया है:
ब्लू हाइड्रोजन (Blue hydrogen) तब प्राप्त होता है जब प्राकृतिक गैस को स्टीम मीथेन रिफॉर्मिंग (SMR) या ऑटो थर्मल रिफॉर्मिंग (ATR) द्वारा हाइड्रोजन और CO2 में विभाजित किया जाता है, लेकिन CO2 को कैप्चर कर लिया जाता है और फिर भंडारित किया जाता है। चूंकि ग्रीनहाउस गैसों को कैप्चर कर लिया जाता है, यह पृथ्वी पर पर्यावरणीय प्रभावों को कम करता है।
ग्रे हाइड्रोजन (Grey hydrogen) का उत्पादन कई वर्षों से किया जा रहा है। यह ब्लू हाइड्रोजन के समान प्रक्रिया है – SMR या ATR का उपयोग प्राकृतिक गैस को हाइड्रोजन और CO2 में विभाजित करने के लिए किया जाता है। लेकिन CO2 को कैप्चर नहीं किया जाता है और इसे वातावरण में छोड़ दिया जाता है।
ग्रीन हाइड्रोजन (Green hydrogen) – जिसे “स्वच्छ हाइड्रोजन” भी कहा जाता है – इलेक्ट्रोलिसिस (electrolysis) नामक प्रक्रिया के माध्यम से जल को दो हाइड्रोजन परमाणुओं और एक ऑक्सीजन परमाणु में विभाजित करने के लिए सौर या पवन ऊर्जा जैसे सरप्लस नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करके उत्पादित किया जाता है।
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