RBI ने 2021 के लिए SBI, ICICI और HDFC को D-SIBs का दर्जा जारी रखा है

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 2021 के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI), ICICI बैंक और HDFC बैंक के प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण घरेलू बैंकों (Domestic Systemically Important Banks: D-SIB) का दर्जा जारी रखा है।

क्या हैं प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण घरेलू बैंक (D-SIB)?

  • इस दर्जा का मतलब यह है कि ये बैंक “इतने विशाल हैं कि विफल नहीं हो सकते” यानी ‘टू बिग टू फेल। दरअसल भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ ये बैंक इस तरह जुड़े हुए हैं कि इनका विफल होना अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। इसलिए ये भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सिस्टेमिकली इंपोर्टेंट बैंक हैं।
  • बता दें कि 22 जुलाई, 2014 को भारतीय रिज़र्व बैंक ने D-SIB के लिए फ्रेमवर्क प्रकाशित की थी।
  • D-SIB फ्रेमवर्क के लिए रिजर्व बैंक को 2015 से शुरू होने वाले D-SIB के रूप में नामित बैंकों के नामों को जारी करने और इन बैंकों को उनके सिस्टेमिक इंपोर्टेंट स्कोर (systemic importance scores: SISs) के आधार पर उपयुक्त बकेट में रखने की आवश्यकता है।
  • D-SIB के रूप में सूचीबद्ध होने के लिए, एक बैंक के पास इतनी एसेट्स होनी चाहिए जो राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद के 2 प्रतिशत से अधिक हो। इसके बाद बैंकों को पांच बकेट्स में उनके महत्व के स्तर पर वर्गीकृत किया जाता है।
  • D-SIB के लिए एडिशनल कॉमन इक्विटी टियर 1 (CET1) आवश्यकता 1 अप्रैल, 2019 से पूरी तरह से प्रभावी हो गई है और एडिशनल CET1 आवश्यकता पूंजी संरक्षण बफर के अतिरिक्त होगी।
  • ICICI बैंक और HDFC बैंक बकेट-1 में हैं जबकि SBI बकेट-3 में आता है। बकेट-5 में सबसे महत्वपूर्ण D-SIB को रखा जाता है।
  • RBI के अनुसार, उस बकेट के आधार पर जिसमें D-SIB रखा गया है, उस पर एक एडिशनल कॉमन इक्विटी टियर 1 (CET1) आवश्यकता लागू की जानी होती है।
  • बैंकों के आर्थिक और राष्ट्रीय महत्व के कारण, बैंकों को टियर-I इक्विटी के रूप में जोखिम-भारित परिसंपत्ति ( Risk-Weighted Assets: RWAs) का एक उच्च हिस्सा बनाए रखने की आवश्यकता है। चूंकि SBI को D-SIB के बकेट-3 में रखा गया है, इसलिए उसे अपनी जोखिम-भारित परिसंपत्ति (RWAs) के 0.60 प्रतिशत पर एडिशनल CET1 बनाए रखना है।
  • दूसरी ओर ICICI बैंक और HDFC बैंक बकेट-1 में होने के कारण एडिशनल CET1 को अपनी जोखिम-भारित परिसंपत्ति (RWAs) के 0.20 प्रतिशत पर एडिशनल CET1 बनाए रखना होता है।
  • यह सूची हर साल प्रकाशित की जाती है।

G-SIB

  • यदि कोई विदेशी बैंक जिसकी भारत में शाखा है, एक प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण वैश्विक बैंक (G-SIB: Global Systemically Important Bank) है, तो उसे भारत में G-SIB के रूप में लागू एडिशनल CET1 पूंजी अधिभार बनाए रखना होगा, जो कि उसकी भारत में जोखिम भारित परिसंपत्तियों (RWAs) के अनुपात में होगा।
error: Content is protected !!