Inflation Targeting: RBI के अनुसार सरकार के साझा की गयी रिपोर्ट सार्वजानिक होने से बाजार अस्थिर हो सकता है

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने RTI अपील के जवाब में कहा है कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए किये गए विभिन्न उपाय और पिछले साल मुद्रास्फीति के फ्लेक्सिबल लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहने के कारणों के संबंध में एक रिपोर्ट सरकार के साथ साझा की गयी है और इस रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे बाजार में व्यवधान पैदा हो सकता है और वित्तीय बाजार में अस्थिरता पैदा हो सकती है।

मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण फ्रेमवर्क

बता दें कि मई 2016 में, लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण फ्रेमवर्क (flexible inflation targeting framework) के कार्यान्वयन को वैधानिक आधार प्रदान करने के लिए RBI अधिनियम, 1934 में संशोधन किया गया था।

इस अधिनियम की धारा 45ZA के तहत, केंद्र सरकार, RBI के परामर्श से, पांच साल में एक बार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के संदर्भ में मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारित करती है और इसे आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचित करती है।

इस नियम के अनुसार 5 अगस्त, 2016 को, केंद्र सरकार ने आधिकारिक राजपत्र में 4 प्रतिशत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति को 5 अगस्त, 2016 से 31 मार्च, 2021 की अवधि के लिए लक्ष्य के रूप में निर्धारित किया जिसकी ऊपरी सहनशीलता सीमा 6 प्रतिशत थी जबकि 2 प्रतिशत की निचली सहनशीलता सीमा रखी गयी।

इसका मतलब यह हुआ CPI मुद्रास्फीति को 2% से 6 % बैंड के बीच रखना था।

31 मार्च, 2021 को, केंद्र सरकार ने अगले 5 साल की अवधि – 1 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2026 के लिए मुद्रास्फीति लक्ष्य और सहनशीलता सीमा को पहले की तरह (2 प्रतिशत से 6 प्रतिशत बैंड के बीच) बरकरार रखा।

RBI अधिनियम की धारा 45ZB मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक नीतिगत ब्याज दर निर्धारित करने के लिए छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) के गठन का प्रावधान करती है।

यदि बैंक मुद्रास्फीति के लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहता है, तो उसे केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट भेजना होता है। इस रिपोर्ट में उसे बताना होता है कि:

  • (A) मुद्रास्फीति लक्ष्य प्राप्त करने में विफल क्यों हुए;
  • (B) मुद्रास्फीति नियंत्रित करने के लिए बैंक क्या कार्रवाई करने जा रहा है; और
  • (C) प्रस्तावित कार्रवाइयों के समय पर कार्यान्वयन के अनुसरण में समय-अवधि का अनुमान जिसके भीतर मुद्रास्फीति नियंत्रण लक्ष्य प्राप्त किया जाएगा।
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