RBI ने शहरी सहकारी बैंकों के लिए चार-स्तरीय विनियामक फ्रेमवर्क अपनाया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पूर्व डिप्टी गवर्नर श्री एन एस विश्वनाथन की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के अनुसार शहरी सहकारी बैंकों (अर्बन कोआपरेटिव बैंक/Urban Cooperative Banks: UCBs) के लिए एक संशोधित नियामक फ्रेमवर्क (revised regulatory framework) जारी किया है। RBI ने बैंकों की जमा राशि के आकार और उनके संचालन के क्षेत्र के आधार पर एक साधारण चार-स्तरीय नियामक ढांचा (four-tiered regulatory framework) अपनाने का फैसला किया है।

चार-स्तरीय नियामक ढांचा (four-tiered regulatory framework)

टियर-1 श्रेणी में सभी यूनिट और वेतन पाने वाले शहरी सहकारी बैंक शामिल होंगे, चाहे जमा का आकार कुछ भी हो। इस श्रेणी में 100 करोड़ रुपये तक की जमा राशि वाले अन्य सभी UCBs भी शामिल होंगे।

टियर 2 में 100 करोड़ रुपये से अधिक और 1,000 करोड़ रुपये तक की जमा राशि वाले UCBs शामिल होंगे।

टियर-3, 1,000 करोड़ रुपये से अधिक और 10,000 करोड़ रुपये तक की जमा राशि वाले UCBs होंगे।

टियर-4 में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की जमा राशि वाले UCBs शामिल होंगे।

आवश्यकता को पूरा नहीं करने वाले शहरी सहकारी बैंकों को चरणबद्ध तरीके से न्यूनतम 2 करोड़ रुपये या 5 करोड़ रुपये का नेट वर्थ प्राप्त करने के लिए पांच साल का एक ग्लाइड पथ प्रदान किया जाएगा।

कैपिटल टू रिस्क विटेड असेट्स रेश्यो (CRAR)

टियर 1 बैंकों के लिए न्यूनतम कैपिटल टू रिस्क विटेड असेट्स रेश्यो (capital to risk ­weighted assets ratio/CRAR) को बेसल I पर आधारित मौजूदा कैपिटल एडेक्वेसी रेश्यो के तहत 9 प्रतिशत के वर्तमान दर पर बरकरार रखा गया है।

टियर 2, 3 और 4 UCBs के लिए, न्यूनतम CRAR को संशोधित करके 12 प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया है।

CRAR एक बैंक के लिए आवश्यक वह पूंजी है जिसे बैंकों द्वारा वितरित परिसंपत्तियों (ज्यादातर ऋण) के संदर्भ में मापा जाता है। वितरित परिसंपत्ति जितनी अधिक होगी, बैंक द्वारा उतनी ही अधिक पूंजी होनी चाहिए।

मिनिमम नेट वर्थ

एक जिले में कार्यरत टियर 1 शहरी सहकारी बैंकों के लिए न्यूनतम निवल मूल्य/मिनिमम नेट वर्थ (minimum net worth) 2 करोड़ रुपये और अन्य सभी शहरी सहकारी बैंकों (सभी स्तरों के) के लिए 5 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।

आरबीआई ने कहा कि इससे बैंकों के वित्तीय संकट का सामना करने और उनके विकास को निधि देने की उनकी क्षमता में वृद्धि होने की उम्मीद है।

शाखा विस्तार

RBI ने शहरी सहकारी बैंकों के लिए शाखा विस्तार के लिए एक स्वचालित मार्ग शुरू करने का निर्णय लिया है। वित्तीय रूप से मजबूत होने और बेहतर मानदंड होने पर वे अपनी नई शाखाएं खोल स्वतः खोल सकेंगे।

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