राष्ट्रीय महत्व के स्मारक: PM-EAC ने सूची की समीक्षा करने की सिफारिश की है

Image credit: PM-EAC report

प्रधान मंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC) ने राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों (MNI: monuments of national importance) की सूची की समीक्षा करने और इसे सुव्यवस्थित करने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया है।

  • बता दें कि भारत में वर्तमान में MNI की संख्या 3,693 हैं, और उनकी सुरक्षा और रखरखाव संस्कृति मंत्रालय के तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की जिम्मेदारी है।

क्या कहा गया है रिपोर्ट में?

  • EAC द्वारा तैयार की गई ‘मॉन्यूमेंट्स ऑफ़ नेशनल इम्पोर्टेंस: नीड फॉर अर्जेंट रेशनलाइजेशन’ (Monuments of National Importance: The Urgent Need for Rationalization) शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वतंत्रता के बाद से MNI की मौजूदा सूची की समीक्षा नहीं की गई है।राष्ट्रीय महत्व के नहीं होने के बाद भी औपनिवेशिक काल की लघु संरचनाओं या स्मारकों को शामिल करने के कारण यह सूची अप्रासंगिक हो गई है।
  • सूची में शामिल MNI की बड़ी संख्या का न तो राष्ट्रीय महत्व है न ऐतिहासिक न सांस्कृतिक महत्व है
  • 3,695 MNI की वर्तमान सूची के लगभग एक चौथाई ‘राष्ट्रीय महत्व’ के स्मारक नहीं लगते हैं । उदाहरण के लिए, ब्रिटिश अधिकारियों और सैनिकों की लगभग 75 कब्रें और कब्रिस्तान जिनका न तो वास्तुशिल्प महत्व है और न ही ऐतिहासिक या सांस्कृतिक महत्व है, वे भी राष्ट्रीय महत्व के समरकों की सूची में शामिल हैं।
  • सूची में कई चल (मूवेबल) कलाकृतियाँ भी शामिल हैं जैसे मूर्तिकला के टुकड़े, मूर्तियाँ, तोप आदि, और इन्हें स्मारक माना जा रहा है।
  • 24 “अनट्रेसेबल” (लापता) स्मारकों को अभी भी MNI माना जा रहा है। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के ऑडिट के अनुसार 92 स्मारकों का पता ही नहीं चल पा रहा है और ये विभिन्न कारणों से गुम हो गयी हैं।
  • एक ब्रिटिश ब्रिगेडियर जॉन निकोलसन की औपनिवेशिक युग की मूर्ति, जो 1958 में उत्तरी आयरलैंड को निर्यात की गई थी, पिछले छह दशकों से देश में नहीं होने के बावजूद अभी भी राष्ट्रीय महत्व के स्मारक की सूची में बनी हुई है।
  • केंद्रीय संरक्षित कई स्मारकों के संरक्षण और रखरखाव के लिए आवंटित धन अपर्याप्त और भौगोलिक दृष्टि से विषम हैं। 2019-20 में 3695 MNI के संरक्षण, सुरक्षा और पर्यावरण विकास के लिए बजटीय आवंटन केवल 428 करोड़ रुपये था। यह प्रति MNI 11 लाख रुपये की मामूली राशि के बराबर है।
  • राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों पर भारत का खर्च बहुत कम और अपर्याप्त है। यहां तक कि खर्च की गई थोड़ी सी राशि का भी स्मारकों के उचित रखरखाव के लिए बेहतर उपयोग करने की आवश्यकता है।
  • धन के राज्य-वार वितरण में असंतुलन है: 2019-20 में, दिल्ली, जिसमें 173 MNI हैं, को 18.5 करोड़ रुपये का बड़ा हिस्सा प्राप्त हुआ; वहीं, 745 स्मारकों वाले उत्तर प्रदेश को महज 15.95 करोड़ रुपये आवंटित किए गए
  • MNI में टिकट, फोटोग्राफी, फिल्मांकन आदि के माध्यम से एकत्रित राजस्व ASI या संस्कृति मंत्रालय को नहीं जाता है।
  • सरकार लंबी अवधि में राजस्व उत्पन्न करने के वैकल्पिक तरीकों के साथ आने में विफल रही है।
State-wise list of monuments of national importance (Map credit: PM-EAC report)

समस्या कहां है?

  • समस्या प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम (AMASR अधिनियम), 1958 के अनुसार राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की पहचान और संरक्षण के साथ है।
  • AMASR अधिनियम प्राचीन व ऐतिहासिक स्मारकों, पुरातात्विक स्थलों और राष्ट्रीय महत्व के अवशेषों की घोषणा और संरक्षण का प्रावधान करता है।
  • अधिनियम यह परिभाषित नहीं करता है कि राष्ट्रीय महत्व का स्मारक आखिर है क्या, न ही इसकी पहचान करने के लिए कोई ठोस प्रक्रिया या मानदंड निर्धारित हैं।
  • राष्ट्रीय महत्व के मौजूदा 3,695 स्मारकों में से 2,584 को औपनिवेशिक काल की सूची से सामूहिक रूप से स्थानांतरित कर दिया गया था।
  • 1947 और AMASR अधिनियम 1958 के पारित होने के बीच, अन्य 736 स्मारकों को सूची में जोड़ा गया। 1958 के अधिनियम ने तब सूची की समीक्षा किए बिना उन सभी को राष्ट्रीय महत्व का घोषित कर दिया।

समिति के प्रमुख सुझाव

  • ASI को स्मारकों को राष्ट्रीय महत्व का घोषित करने के लिए ठोस मानदंड और एक विस्तृत प्रक्रिया तैयार करनी चाहिए।
  • जो स्मारक लापता हो गए हैं उन्हें स्मारकों की सूची से हटा दिया जाना चाहिए और स्थानीय महत्व के स्मारकों के संरक्षण का जिम्मा राज्यों को सौंप देना चाहिए।
  • राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की सूची से स्टैंडअलोन (पृथक) पुरावशेषों को हटा दिया जाना चाहिए। जहां भी संभव हो, बेहतर रखरखाव के लिए उन्हें संग्रहालयों में स्थानांतरित किया जा सकता है।
  • राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों के संरक्षण के लिए धन का आवंटन बढ़ाया जाना चाहिए, जबकि ASI को टिकट, इवेंट्स, फीस और अन्य स्रोतों जैसे राजस्व स्रोतों से उत्पन्न आय को अपने पास रखना चाहिए।
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