PM- KUSUM: योजना प्राप्ति की लक्ष्य अवधि मार्च 2026 तक बढ़ाई गयी

वर्ष 2022 तक ग्रामीण भारत में 30,000 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) की प्रमुख योजना पीएम-कुसुम (PM- KUSUM) योजना की समय सीमा अब मार्च 2026 तक बढ़ा दी गई है।

  • 31 दिसंबर, 2022 तक, केवल 88.46 मेगावाट बिजली सौर क्षमता जोड़ी गई थी; 181,058 सौर पंप स्थापित किए गए थे और 1,174 ग्रिड से जुड़े पंप परिवर्तित किए गए थे।

PM- KUSUM के बारे में

प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (Pradhan Mantri Kisan Urja Suraksha Evam Uttham Mahabhiyan: PM- KUSUM) के तीन खंड हैं:

Component-A: बंजर भूमि पर 10,000 मेगावाट के विकेंद्रीकृत ग्रिड से जुड़े नवीकरणीय ऊर्जा ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना करना।

  • इस घटक के तहत, 500 किलोवाट से 2 मेगावाट क्षमता के नवीकरणीय ऊर्जा आधारित बिजली संयंत्र व्यक्तिगत किसानों/किसानों के समूह/सहकारिताओं/पंचायतों/कृषक उत्पादक संगठनों (FPO)/जल उपयोगकर्ता संघों (WUA) द्वारा बंजर भूमि पर स्थापित किए जाएंगे।
  • इन बिजली संयंत्रों को खेती योग्य भूमि पर स्टिल्ट्स पर भी स्थापित किया जा सकता है जहां फसलें सौर पैनलों के नीचे भी उगाई जा सकती हैं। नए सशोधन के अनुसार बंजर, परती और कृषि भूमि के अलावा, किसानों की चरागाह और दलदली भूमि पर भी सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जा सकते हैं।
  • खरीद आधारित प्रोत्साहन (PBI) @ के रूप में 40 पैसे/kWh या 6.60 लाखरुपये /मेगावाट/वर्ष, जो भी कम हो, की दर से पहले पांच वर्षों के लिए MNRE द्वारा DISCOMs को किसानों/डेवलपर्स से बिजली खरीदने के लिए सहायता प्रदान की जाती है।

Component-B: 17.50 लाख स्टैंड-अलोन सौर कृषि पंपों की स्थापना करना।

  • इस घटक के तहत, अलग-अलग किसानों को ऑफ-ग्रिड क्षेत्रों में मौजूदा डीजल कृषि पंपों/सिंचाई प्रणालियों के प्रतिस्थापन के लिए 7.5 HP तक की क्षमता के स्टैंडअलोन सौर कृषि पंप स्थापित करने के लिए समर्थन दिया जाएगा, जहां ग्रिड आपूर्ति उपलब्ध नहीं है।
  • 7.5 HP से अधिक क्षमता के पंप भी लगाए जा सकते हैं, हालांकि वित्तीय सहायता 7.5 HP क्षमता तक ही सीमित होगी। केंद्र सरकार 30 % और राज्य सरकारें 30 % सब्सिडी प्रदान करती है।

Component-C: ग्रिड से जुड़े 10 लाख कृषि पंपों के सोलराइजेशन करना

  • इस घटक के तहत, ग्रिड से जुड़े कृषि पंप वाले व्यक्तिगत किसानों को पंपों को सोलराइज़ करने के लिए सहायता दी जाएगी।
  • किसान सिंचाई की जरूरतों को पूरा करने के लिए उत्पन्न सौर ऊर्जा का उपयोग करने में सक्षम होंगे और अतिरिक्त सौर ऊर्जा को डिस्कॉम को पूर्व-निर्धारित टैरिफ पर बेचा जाएगा।
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