मेलेनोमा के इलाज में ‘लिविंग मेडिसिन’ प्रभावी साबित हुई
हाल के एक परीक्षण में एक मरीज की स्वयं की प्रतिरक्षा कोशिकाओं को एक प्रयोगशाला में अरबों प्रतिरक्षा कोशिकाओं गुणक किया गया जिनका इस्तेमाल मेटास्टैटिक मेलेनोमा (Melanoma) रोग के खिलाफ एक लिविंग मेडिसिन (living medicine) के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
ट्यूमर इन्फिल्ट्रेटिंग लिम्फोसाइट्स (TIL) परीक्षण मेलेनोमा में T सेल थेरेपी के प्रभाव और सामान्य रूप से ठोस ट्यूमर की तलाश में दुनिया का पहला फेज 3 परीक्षण है।
मेलेनोमा त्वचा कैंसर का एक आक्रामक रूप है। प्रारंभिक नैदानिक परीक्षणों में, “लिविंग ड्रग” के रूप में रोगी की अपनी T कोशिकाओं का उपयोग करके सेल थेरेपी ने आशाजनक परिणाम दिखाए।
लिविंग मेडिसिन के बारे में
लिविंग मेडिसिन में पूरी तरह फंक्शनल कोशिकाएं होती हैं जिन्हें कैंसर जैसे विशिष्ट रोगों के इलाज के लिए चुना जाता है और अक्सर संशोधित किया जाता है।
सेल थेरेपी के रूप में जानी जाने वाली दवाएं लिविंग मेडिसिन की श्रेणी में आती हैं।
दो प्रकार की सेलुलर थेरेपी जो हाल ही में उपलब्ध हुई हैं वे हैं; चिमेरिक एंटीजन रिसेप्टर T कोशिकाएं (CAR T-cell therapy) और उपचारात्मक टीके (therapeutic vaccines)।
बता दें कि 2021 में, सेंटर फॉर जीनोमिक रेगुलेशन (CRG) और पल्मोबायोटिक्स S.L के शोधकर्ताओं ने चिकित्सा प्रत्यारोपण की सतहों पर पलने वाले एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया के इलाज के लिए पहली ‘लिविंग मेडिसिन’ बनाई थी।
नए उपचार ने विशेष रूप से बायोफिल्म्स (biofilms) को लक्षित किया।
बायोफिल्म्स, जीवाणु कोशिकाओं की कॉलोनियां हैं जो सतह पर एक साथ चिपक जाती हैं। मेडिकल इम्प्लांट्स की सतहें बायोफिल्म्स के विकास के लिए अनुकूल स्थितियां हैं, जहां वे अभेद्य संरचनाएं बनाती हैं जो एंटीबायोटिक दवाओं या मानव प्रतिरक्षा प्रणाली बे-असर कर देती है।
बायोफिल्म से जुड़े बैक्टीरिया फ्री-फ्लोटिंग बैक्टीरिया की तुलना में एंटीबायोटिक दवाओं के लिए एक हजार गुना अधिक प्रतिरोधी हो सकते हैं।
T कोशिकाएं
T कोशिकाएं एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएं होती हैं।
T कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा हैं और बोन मेरो में स्टेम कोशिकाओं से विकसित होती हैं।
वे शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करती हैं और कैंसर से लड़ने में मदद कर सकती हैं। इसे T लिम्फोसाइट और थाइमोसाइट भी कहा जाता है।