संसद ने नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया
संसद ने 14 दिसंबर को नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (New Delhi International Arbitration Centre) का नाम बदलकर भारत अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (India International Arbitration Centre) करने के लिए एक विधेयक पारित किया।
- राज्यसभा ने नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (संशोधन) विधेयक, 2022 (New Delhi International Arbitration Centre (Amendment) Bill, 2022) पारित किया, जिसे केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने 14 दिसंबर को सदन में पेश किया था। लोकसभा ने अगस्त 2022 को विधेयक पारित किया था।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
- मध्यस्थता (Arbitration/विवाचन) के अलावा वैकल्पिक विवाद समाधान के अन्य रूपों का विकल्प दिया गया है। यह बिल नई दिल्ली इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर का नाम बदलकर इंडिया इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर कर दिया है।
- अधिनियम में मध्यस्थता केंद्र को अंतरराष्ट्रीय और घरेलू मध्यस्थता और सुलह के संचालन की सुविधा के लिए प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है तथा नया कानून वैकल्पिक विवाद समाधान के अन्य रूपों के संचालन को शामिल करने के लिए इसके स्कोप को विस्तारित करता करता है।
- आर्बिट्रेशन के संचालन के तरीके और वैकल्पिक विवाद समाधान के अन्य रूपों को केंद्र सरकार द्वारा विनियमों के माध्यम से निर्धारित किया जाएगा। विधेयक सरकार को अधिनियम के लागू होने की तारीख से पांच साल तक अधिनियम को लागू करने में किसी भी कठिनाई को दूर करने की अनुमति देता है।
- सदन में बिल पर बहस का जवाब देते हुए केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि बिल बहुत सीमित संशोधन के लिए लाया गया है लेकिन संशोधन महत्वपूर्ण है।
- उन्होंने कहा, यह केंद्र केवल दिल्ली के लिए नहीं है, बल्कि पूरे भारत के लिए होगा और विदेशों से आने वाले पक्षकारों के लोगों के लिए भी होगा। इसलिए, नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र का नाम बदलकर भारत अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र करने के लिए संशोधन का प्रस्ताव किया गया है।
क्या है आर्बिट्रेशन?
- आर्बिट्रेशन अनिवार्य रूप से भुगतान किया हुआ प्राइवेट ट्रायल है। दूसरे शब्दों में, अदालत में जाए बिना विवादों को हल करने का एक तरीका है।
- विवाद के पक्षकार विवाद को अदालतों के बजाय किसी तीसरे पक्ष के तटस्थ मध्यस्थ को सौंपते हैं। कोर्ट बेंच या ज्यूरी ट्रायल के विपरीत, प्रस्तुति में सिर्फ दस्तावेज शामिल हो सकते हैं, हालांकि अक्सर, दोनों पक्षों के पास मौखिक तर्क देने के लिए वकील होते हैं।
आर्बिट्रेशन के लाभ
- विवाद सामान्य रूप से बहुत जल्द सुलझ जाता है।
- अदालती सुनवाई की तारीख प्राप्त करने में कई साल लग सकते हैं, जबकि मध्यस्थता की तारीख आमतौर पर कुछ महीनों के भीतर प्राप्त की जा सकती है।
- मुकदमेबाजी के विपरीत,आर्ब्रिट्रेशन एक निजी समाधान की ओर ले जाती है, इसलिए विवाद और समाधान में लाई गई जानकारी को गोपनीय रखा जा सकता है।
- यह कम जटिल प्रक्रिया है।
- विवाद के पक्ष आमतौर पर मध्यस्थ को एक साथ चुनते हैं, इसलिए मध्यस्थ कोई ऐसा व्यक्ति होता है जिस पर दोनों पक्षों का विश्वास होता है।