सरफेसी कानून को निरस्त करने का कोई प्रस्ताव नहीं-वित्त मंत्रालय
केंद्र सरकार ने लोकसभा को 19 दिसंबर को सूचित किया कि सिक्योरिटाइजेशन एंड रिकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट एक्ट 2002 (SARFAESI कानून) को निरस्त करने की कोई योजना या कोई प्रस्ताव नहीं है।
सरफेसी/SARFAESI कानून के प्रमुख प्रावधान
सरफेसी/SARFAESI (Securitisation and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest ) कानून बैंकों और वित्तीय संस्थानों को SARFAESI अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्यवाही करके 1 लाख रूपये से अधिक की अपनी बकाया राशि की वसूली करने की अनुमति देता है।
2002 में अधिनियमित यह कानून, कर्जदाताओं को बकाया राशि का भुगतान नहीं मिलने की स्थिति में बिना कोर्ट के हस्तक्षेप से कर्जदारों की गिरवी रखी गई संपत्तियों को कुर्क करने का अधिकार देता है।
यह कानून पूरे देश में लागू है और इसमें सभी संपत्तियां, चल या अचल शामिल हैं, जिन्हें लेंडर को सिक्योरिटी के रूप में देने का वादा किया गया है।
यदि कोई कर्जदार (बॉरोअर) छह महीने से अधिक समय के लिए अपने पेमेंट डिफॉल्ट करता है तब यह अधिनियम लागू होता है। तब लेंडर (कर्ज देने वाली संस्था) 60 दिनों के भीतर बकाया राशि चुकाने के लिए बॉरोअर को नोटिस भेज सकता है।
यदि नोटिस के बाद भी राशि नहीं प्राप्त होती है, तो वित्तीय संस्थान को सिक्योरिटी के रूप में रखी गयी संपत्तियों पर कब्जा करने और उन्हें बेचने, स्थानांतरित करने या प्रबंधित करने का अधिकार होता है।
डिफॉल्टर, इस बीच, लेंडर से नोटिस प्राप्त करने के 30 दिनों के भीतर कानून के तहत स्थापित अपीलीय प्राधिकरण जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के 2020 के एक फैसले के मुताबिक सहकारी बैंक भी सरफेसी एक्ट लागू कर सकते हैं। वित्त मंत्रालय के अनुसार, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) 20 लाख रुपये के ऋण डिफॉल्ट मामलों में वसूली शुरू कर सकती हैं।